स्वयम्बरा | Swayambra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प् सती और असती ।
' मे आता \ जिसको द्या आती उसको खाने पीने को दे देता था।
' कोई कमी पैसा भी देता था । एक किसान ने अपने गाय बैल
और मैंसे चराने के बास्ते उसको नौकर रखा। खाना कपड़ा देने
लगा । सोने का भी प्रबन्ध कर दिया । लेकिन वह् सुदंफोढ़ काम
` करना जानता नहीं था न किसीने उसको कभी सिखलाया।
इस कारण उससे यह काम भी नहीं. हुआ বন किसान ने दाम
वेकाम जाता देखकर उसको विदा कर दिया ।
उसके बाद एक डाक्टर उसको आराम करने की गरज़ से
अपने घर ले गये। भुंइफोड़ को मूच्छो का रोग भी था । म्जु के
विकार से ही यह रोग होता है। यह चद्द डाक्टरी में पढ़ चुके थे
उसको बड़ी निगरानी मे रखकर दवा और खाना पीना कपड़ा
भी देने लगे । जब छ महीने तक उसको अपने यहाँ रखकर भी
डाक्टर ने छुछ फल नहीं पाया तब लाॉचार होकर उसे घर से
विदा कर दिया \ चच से डाक्टर को उस पर बड़ी घृणा हो गयी ।
जो डाक्टर आज देवदूत का इलाज करने आये ये , उनका
नाम तोरन था। उन्हीने भुंइफोडू का उतने दिनों तक इलाज
किया या)
जब उसी भुंइफोड़ को लोगो ने सेजिस्ट्रेट के सामने हाजिर
- किया तब डाक्टर ले वहुत नाक भों चढ़ायी और परांवर कहने
. शगे कि वैसे पागल से' कुछ पूछना भूसे पर भीति उठाने की
कोशिश करना है |
जिः डाक्टर की इस हरकत से अव बहुत विगढ़ उठे ।
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