स्वयम्बरा | Swayambra

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Swayambra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्‌ सती और असती । ' मे आता \ जिसको द्या आती उसको खाने पीने को दे देता था। ' कोई कमी पैसा भी देता था । एक किसान ने अपने गाय बैल और मैंसे चराने के बास्ते उसको नौकर रखा। खाना कपड़ा देने लगा । सोने का भी प्रबन्ध कर दिया । लेकिन वह्‌ सुदंफोढ़ काम ` करना जानता नहीं था न किसीने उसको कभी सिखलाया। इस कारण उससे यह काम भी नहीं. हुआ বন किसान ने दाम वेकाम जाता देखकर उसको विदा कर दिया । उसके बाद एक डाक्टर उसको आराम करने की गरज़ से अपने घर ले गये। भुंइफोड़ को मूच्छो का रोग भी था । म्जु के विकार से ही यह रोग होता है। यह चद्द डाक्टरी में पढ़ चुके थे उसको बड़ी निगरानी मे रखकर दवा और खाना पीना कपड़ा भी देने लगे । जब छ महीने तक उसको अपने यहाँ रखकर भी डाक्टर ने छुछ फल नहीं पाया तब लाॉचार होकर उसे घर से विदा कर दिया \ चच से डाक्टर को उस पर बड़ी घृणा हो गयी । जो डाक्टर आज देवदूत का इलाज करने आये ये , उनका नाम तोरन था। उन्हीने भुंइफोडू का उतने दिनों तक इलाज किया या) जब उसी भुंइफोड़ को लोगो ने सेजिस्ट्रेट के सामने हाजिर - किया तब डाक्टर ले वहुत नाक भों चढ़ायी और परांवर कहने . शगे कि वैसे पागल से' कुछ पूछना भूसे पर भीति उठाने की कोशिश करना है | जिः डाक्टर की इस हरकत से अव बहुत विगढ़ उठे ।




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