माणिक विलास | Manik Vilaas
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १९)
१९ पद्-राग कोटी ॥
जाह. समय मिरी भन्यन को महामोह
चिर पमो करम सीं ॥ रेक ॥ मेद्ःज्ञान रवि
प्रगट भयो सुगयो मिथ्या. तम हृदय सदन
सी ॥ जाही० ॥ १॥ सज टस निज परज्
भिन्न ये परिचय करे शह अनुभवसो । ज्ञान
विरागी शुभसति जागी चेतनता न कह
पदगल सों ॥ जाहो० ॥९॥ यो प्रवीन कर-
तूति करत नित धरत जुदाई सदा जगत
सीं । मानिक ठस प्रगरे पाघक ऽयो भिन्न
करत है कनक उपलसों ॥जाही० ॥६॥
२७ पद्-राग पद् ॥
` तत्लांरथं सरधानी ज्ञानी इमि सरधान
घरत सक नाहीं ॥टेका सुख दुख कर्माश्नित
आनत मानत निज में न करम परछांहों।मैं
चित पिंड अखंड ज्ञान घन ` जम्म मरण
२
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