श्री जीतेन्द्र पञ्च कल्याणक पूजन | Shri Jitendra Puch Kalyanak Pujan
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
55
श्रेणी :
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No Information available about कवि भरोदासजी अग्रवाल - Kavi Bhrodasji Agrawal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१६ )
₹ हीं कार्तिक पूणमास्यां जन्मकल्याणक प्राप्ताय श्री संभव
जिनेन्द्रायाध्यं निबेंपामीति स्वाहा ॥ ३ ॥।
अभिनंदन को जन्म माघ सित जानिये,
दादसि केचन चरण चिन्ह कर्पि मांनिये ।
धनुष श्रद्धे शत तीन उचाई तन ले,
आयु लाख पंचास पृ जजि शिव धसे ॥।
5$ हीं माघ शुक्लद्वादश्यां जन्म कल्याणक प्राप्ताय श्री 'भि-
नंदन जिनेन्द्रायाध्य निर्वपामीति स्वाहा ॥ ४ ॥
चेत्र शुक्ल तिथि स्द्र संख्य श्री सुमतिजी,
लयो जन्म तन हेमवरण गुन ब्रृेदजी ।
भायु लाख चालीस पूवे कही,
कोकचिन्ह बपु धनुष तीन शत की लही ॥।
55 हीं चेत्र शुक्ले कादश्यां जन्मकल्याणक प्राप्ताय श्री सुमति
जिनेन्द्रायाध्य॑ निवबंपामीति स्वाद्दा ॥ ५ ॥।
पद्म चिन्द पद पद्म पद्म तन दुतिलसै,
पद्म जिनेश्नर पाद पद्म पद्मा बसे ।
झायु तीस लख पुव्च त्रयोदशि शुकल ही,
कार्तिक चाप अ्र्ाई शत बपु उच्च ही ।
5 हीं कार्तिक शुक्ल त्रयोद्श्यां जन्मकल्याणक प्राप्ताय श्री
पद्म प्रभ जिनेन्द्रायाध्य॑ निवंपामीति स्वाहा ॥ ६ ॥
जेठ सेत तिथि अरक॑ प्रमित जिन जन्मये,
नाथ सुपारस हरित वरणा जन सुखठये ।
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