मैं इनसे मिला | Main Inase Mila
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
दस के तो में ले चुका हूँ। पाँच-छः अधूरे हैं, जिन्हें पूरा करना दे ।
उनके पूरा द्वोते ही दूसरी पुस्तक प्रकाशित द्वो जायगी । पत्रकारों की
तो एक अल्षग पुस्तक होगी । उसका भी श्राधा काय हो चुका दै।
एक ओर पुस्तक स्वर्गीय साहित्यकारों से सम्बन्धित “काल्पनिक
इन्टरब्यू? नाम को है । “साहिस्य-सन्देश” के 'श्यामसुन्दरदास-अंकः में
मेरी बाबू श्यामसुन्दरदास पर ऐसी एक इण्टरब्यू छुपी भी है।
इसके लिए मै स्वर्गीय साहित्यकारों के ग्रंथों के श्रध्ययन के साथ-साथ
उनके वंशजो तथा परिचितां से मिल्लकर सामग्री एकत्रित कर रहा हूँ ।
इस प्रकार हर्टरभ्यू क्िखने का मेरा लम्बा काय हे । हिन्दी के कला-
कार ओर दृष्टा यदि मे सहानुभूतिपू्॑क सयोग श्रौर सहायता
देंगे तो में निश्चय दही इस कायं में कृत-कायं हगा । यह प्रसन्नता की
बात दै कि अ्रव तक जितने भी साहित्यकारों से में मिला हैँ. उनमें से
अधिकांश महानुभावों ने मेर इस काय के पूर्ण होने की मंगल-कामना
की है ओर पूरा-पूरा सहयोग भी दिया दै ।
इस पुस्तक की भूमिका में किसी विशिष्ट विद्वान से लिखाता तो
उचित होता, क्योंकि श्रपनी क्रति के विषय में स्वयं कुछु कद्दना श्रव्यन्त
कठिन कार्य दे | लेकिन मुझे श्रपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करना था, इस-
लिए इसकी भूमिका मेंने ही लिखी है । मेंने ईमानदारी से अपने दृष्टि-
कोण को ध्यक्त करने की चेष्टा की दे और हृण्टरव्यू लेने के कढ़वे-मीठे
अनुभवों को स्थान न देकर सामान्य कठिनाइयों का ही उर्लेख किया
है । इसे मूल्यांकन नहों समझना चाहिए । मूल्यांकन तो हिन्दी के
विद्वान आलोचक और सजग पाठक कर गे। में तो भयभीत हृदय से
अपने हस प्रयास को उनकी कसौटी पर कसने के लिए भेज रहा
हूँ । वे दही इसके खोटे-खरे का निर्णय करंगे । इतना अ्रवश्य द्वै कि मेरे
दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर यदि वे अ्रपने निर्शय श्रौर सुझाव देंगे
तो में आगे बढ़ने का साहस सेजोने का उपक्रम करूँगा। वेसे में डनके
प्रदारों से लाभ उठाने के ल्षिए भी प्रस्तुत हूँ; क्योंकि मुझे उनसे भी
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