नेपोलियन बोनापार्ट | Napoleon Bonaparte
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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माता से भेंट ऐ गई । नेपोटियन मे मावा के चुंवन करने के
ढिये आगे बढ़ फर प्रसन्न बदन दो माया धुफाया | माता ने
उत्तर में फट्टा-- ४ हे वत्स ! ऐसा नहीं, देसो जिसके गर्भ से
भूमिष्ट हो फर तुमने संसार देसा है, उसका कर चुंबन करके
कर्तव्य , पान द्वारा उसका सम्मान दिखाओ | ” माता ने
पद्मपाणि फैठाए और नेपोछियन ने श्रद्धा भाक्तिपूचक उन्हें
खुंबन कर प्रणाम किया | इतने से ह्वी नेपोछियन की माता के
हृदय फा भाव प्रकट द्वोता हैं। नेपोडियन का जो मेम, उसकी
जो भक्ति माता के प्रति थी उसका परिचय भी थोड़े झच्धों में
हम करा देते हैं। जिस समय नेपोलियम सेंट देठना में
अप्रेजों का वंदी था, कई धार ठंढी सांस भर फर बह कद
उठता--« हवा साता, आप मुझे न जने कितना प्यार करती
थीं। मेरे निमिच् आपने अपना सर्वेस्व--यद्दों चक कि अपने
बस्र भी--बैच डाले थे 1?” कभी फमी माता का प्रेम स्मरण
करके वाट धुखिफत दो ज्ञाता, आंखों में ऑसू भर फर कहने
छाता--/ दे मा ! सब प्रकार से सहास्यहीन छोने पर भी
हम ठो के पाटन पोषण फा महत् भार आपने सरट मन
से अपने ऊपर उख! रखा था! आप कासा सास, आप
की सी बुद्धि, आप की सी चरित्रनाठन-शक्ति ग्रिरली ही नारी
में होती होगी, मेने तो नहीं देसी । इस संसार में जो कुछ
महत् , उन्नत वथा उदार वस्तु है उस सथ फे मापने हम सव
बालफों फे ददय में श्रतिष्ठित करने के छिये प्राणपण से वेष्टा
की थी | मिथ्या से तो आपको हार्दिक छुणा थी, उच्छेंखछता
देंसने फी आपमें सामथ्य दी न थी। भादे जितने कष्ट आप पर
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