जैनदर्शनसार भाग - 1 | Jainadarshanasar Bhag - 1

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Jainadarshanasar Bhag - 1  by धर्मभूषण जी महाराज - Dharmabhushan Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आचार्य श्री की भावना है कि सरल भाषा में लिखे गये यें ग्रन्थ जन-जन तक पहुँचें और वे इनका सदोपयोग करें इसलिये इन ग्रन्थों को लागत मूल्य से आधे मूल्य पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। सभी दानवीरो की सुची इन ग्रन्थों कं पिछले पन्नो पर छपी हुई है। इस सुकृत्य कं लिए ग्रन्थो के तीनों भागों के प्रकाशन हेतु द्रव्य प्रदान करने वाले धर्म परायण बन्धु भी श्लाध्य है। धार्मिक समाज की जितनी प्रशंसा की जाय उतनी कम है क्योकि उसके प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सहयोग से ही आज जैनदर्शनसार के तीनों भाग प्रकाशित होकर स्वाध्यायार्थं सम्मुख हैं। कुशल मुद्रक श्री रवि जैन, दीप प्रिण्टर्स ने यथासमय सुन्दर छपाई में ग्रंथ मुद्रित कर हमें सौंप दिए। एतदर्थ उन्हे हमारा हार्दिक धन्यवाद्‌। अन्तं में, सभी स्वाध्याय प्रेमी इस कृति से लाभन्वित हों, एेसी भावना के साथ परम पूज्य आचार्य श्री के चरणों में त्रिधा नमोऽस्तु करते हुए हम अपने निवेदन पूर्ण करते हैं। डी.के. जैन, अध्यक्ष बी.डी.जैन रवि कुमार जैन, मंत्री प्रबन्ध संयोजक श्री दि. जेन मन्दिर समिति कविनगर (गाजियाबाद) अ




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