लोक - प्रशासन : सिद्धांत एवं व्यवहार | Lok - Prashasan : Sidhant Avam Vyavhar
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय प्रकृति एवं अध्ययन के दृष्टिकोण &
का समभता नौर उनका हल निकालना अत्यन्त ही भ्रावश्यक हो गया है ।
आज की सरकारें एक दुविधाजनक स्थिति मे हैं जबकि विभिन्न शक्ति गुट
अपने आर्थिक लाभ के लिए राज्य से अनेक प्रकार की माँगें कर रहे हैं । बहुधा ये
माँगें परस्पर विरोधी होती हैं । जैसे, किसान भ्रपनी पैदावार के लिए भ्रधिक मूल्य
चाहते दै तथा उपमोत्ता सस्ता प्रनाज चाहते हैं। मजदूर अधिक मजदूरी चाहते हैं
तथा मिल के मालिक भ्रपनी पूंजी से ग्रधिक लाभ की ग्राशा रखते हैं 1 राज्य के
कर्मचारी एक ओर तो महंगाई भत्ता बढाने के लिए ग्रान्दोलन करते हैं प्रौर दूसरी
और नये कर लगाने का विरोध करते हैं। इन परस्पर विरोधी माँगो के बीच
समन्वय स्थापित करके देश को आध्थिक प्रगति की ओर ले जाना सरकार की
जिम्मेवारी है ।
वर्तमान युग मे सरकारो ने प्रपने हाथ मे इतनी घ्ाथिक सत्ता केशिद्रित करली
है कि वे प्रपने भितो को मालामाल कर दे सकें और शजुप्तो का सर्वधा नोमोनिशान
मिटा दे । लाइसेस, क्ट्रोल, परमिट, और राज्यकोप की श्रयाह धनराशि सर-
कारो के हाथ में श्रपरिमित ग्राथिक शक्ति केन्द्रित कर देती है । इसके दो प्रमुख
परिण्याम सामने प्राते हैं। विभिन्न दबाव गुट राज्य के इन साधनों तक पहुँचने की
चेष्टा करने लगते हु ताकि इनका उपयोग भ्रपने गुटके लाभ के लिए कर सके ।
दूसरा नतीजा यह होता है कि यदि प्रशासन में थोडा भी ढीलापन हो तो श्रष्टाचार
प्रारम्भ होने लगता है, वयोकि प्रशासन प्रपने मित्रो को सन्तुष्ट करना चाहता
है ।
आ्राज की सरकारो की झ्राथिक जिम्मेवारियाँ इतनी प्रधिक बढ गई हैं कि
प्रणान के अध्ययन के भ्रन्तगंत एक नए उप-विपय प्रायिक प्रणामन बा विकाम हो
गया है। प्रशासन वी बढती हुई झ्राथिक जिम्मेवारियो बो देखकर कय निदानौ ने
प्रपने देश मे धाथिक एवं भौद्योगिक सिविल सेवा ([80010710 6: 1॥10एशाश
(शा $९7९०७) के निर्माण का सुझाव दिया है ।
लोक-प्रशासन एवं कानून
लोक-प्रशासन एवं कातुन वा बडा गहरा सम्बन्ध है । कानून लोक-प्रशासन
को सीमा निर्धारित करता है। प्रशासन के लिए कानून द्वारा निर्धारित यह सीमा
लक्ष्मण रेखा का काम करतो है । यदि प्रशासन इस रेखा के बाहर जाता है तो
न्यायालय अवेध घोषित कर देगा । यह सर्वमान्य सिद्धास्त है कि प्रशासन जो कुछ भी
करेगा वह कातून के अधिकार एव शक्ति से ही करेगा / प्रशासन को अधिकार है कि वह
जनरक्षा के लिए शक्ति का उपयोग करे । शक्ति के उपयोग का श्रधिकार एप
इसकी प्रक्रिया कानून द्वारा तिर्धारित कर दी गई है । इसका यदि उल्लघन होता है
तो न्यायांलय की शरण ली जा सकती है 1
वास्तव में लोक-प्रशासन कानून को सही ढग से कार्यानवत करने का सही
नाम है । यही कारण है कि यूरोप में लोक-प्रशासन का कादून के श्रग के रूप में
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