केन्द्रीय विद्यालयो में अध्ययनरत इंटरमीडिएट छात्र - छात्राओं द्वारा संकाय चयन में शैक्षिक रुचि | Kendriya Vidyalayon Me Addhyanrat Intermediate chhatra chhatrao Dwara Sankay chayan me Shaikshik Ruchi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६५५ 5. सार्वमौमिकता (ाणंश्लऽगां{$) - वेज्ञानिक विषय के सिद्धांत ओर नियम सार्वभौमिक होते हें । यह सिद्धान्त ओर नियम किसी देश ओर काल में खरे उतरते हँ | किसी भी विषय कं सिद्धान्तो ओर नियमों का प्रतिपादन ओर अध्ययन यदि वैज्ञानिक पद्धतियोँ के द्वारा किया गया हे ओर यदि यह सिद्धान्त तथा नियम प्रामाणिक, वस्तुनिष्ठ ओर भविष्यवाणी की योग्यता रखते हँ तो निश्चय दही यह सिद्धांत ओर नियम सार्वभौमिक होगे । चूंकि मनोविज्ञान की अधिकांश समस्याओं का अध्ययन वैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा किया जाता है ओर मनोविज्ञान की विषय-साम्रगी मे वस्तुनिष्ठता, प्रामाणिकता ओर भविष्यवाणी की योग्यता है । अतः हम कह सकते हें कि मनोविज्ञान. के सिद्धांत ओर नियम जिन विशेष परिस्थितियों में प्रतिपादित किये गये हैँ उन विशेष परिस्थितियो मेँ किसी देश या काल में खरे उतरते हैं या सार्वभौमिक हैं | उपर्युक्त विज्ञान की पांच प्रमुख विशेषताओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि उपर्युक्त सभी विशेषतायें मनोविज्ञान की विषय-साम्रगी में विद्यमान हैं। अत: विज्ञान की इन विशेषताओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान विज्ञान है। यद्यपि वर्तमान समय में इस. विषय का अध्ययन कला संकाय के विषयों के अन्तर्गत किया जाता है, अपने देश के. मनोवेज्ञानिकों का यह दुर्भाग्य हे । आशा है. विकसित देशों की भांति अपने इस विकासशील देश भारत वर्ष में भी मनोविज्ञान का अध्ययन अन्य विज्ञान संकाय विषयों के साथ अर्थात्‌ विज्ञान संकाय के विषयों के अन्तर्गत किया जायेगा। मनोविज्ञान की व्यावहारिक महत्वता (+ ])011€त ए प्राकर ग ?४5५८॥००९2५) अधिकांश व्यक्तियों मे वस्तुओं अथवा उद्‌ दीपकं का ज्ञान प्राप्त करने की उत्सुकता होती हे । परन्तु यह उत्सुकता बाह्य वातावरण में उपस्थित उद्दीपक का ज्ञान प्राप्त करने | के सम्बन्ध मेँ होती है, न कि स्वयं अपने सम्बन्ध में। यद्यपि कुछ व्यक्तियों में अपने सम्बन्ध का ज्ञान भी प्राप्त करने की उत्सुकता देखी जाती है। मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जिसकी सहायता से व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के सम्बन्ध में अथवा अपने स्वयं के सम्बन्ध मेँ




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