शासन - पथ निदर्शन | Shasan Path Nidarshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय स्वतस्वता का घोषणा-पत्र ९
ब्रिटिश मंत्रि-मंडल की मनोवृत्ति
ब्रिटिश मंत्रि-मंडल में इसी मनोवृत्ति का आभास्र मिलता है। उनके
द्वारा दिया हुआ भाष्य भी इसी बात पर जोर देता है कि भारतीय संघ
के भिन्न-भिन्न वर्गों को अधिकार है कि वे अपने लिए जैसा संविधान चाहें
बनावें । जैसा वे पहिले कहते थे, आज भी कहते हैं कि प्रांतों को अधिकार
है कि वह चाहें तो किसी समूह (ग्रुप) में शामिल्त रहें या उससे बाहर हो
जाएँ। पर साथ ही अपने वक्तव्य में वे एक ऐसी शर्त्त भी रख देते हैं, जो
इस सम्भावना को--प्रांत अपने अधिकारों को काम में लाबें--पहले से ही
असम्भव कर देती है। आप एक प्रांत से यह तो कहते हैं कि उसे हक़ हैं
कि चाहे तो किसी वर्ग में शामिल हो या नहीं । पर साथ ही यह भी कहते
हैं कि ग्रुप के सभी लोग विधान बनाने के लिये सम्मिलित होंगे पर्चिमो-
तर सुवा ग्रांत, सिंध और बलूचिस्तान को पंजाब के साथ बंधना होगा
और आसाम को बंगाल के साथ बंधना होगा। इल प्रांतों का संविधान ग्रुप
वी और ग्रुप सी वबनायेंगे | पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान वाला गुट
पश्चिमोत्त र सीमाप्रांत के लिये विधान बनायेगा और बंगाल आसाम के लिए,
क्या यह ईमानदारी की वात है ? एक तरफ तो आप कहते हैं कि प्रांत को
हक़ है कि वह ग्रुप में रहे या अछग हो जाय । पर आप विधान ऐसा वना
देते हैं जो प्रांत के गुट से बाहर निकल जाने की सम्भावना को ही
खारिज कर देता है। मंत्रि-मंडल के वक्तव्य में यह साफ़ कहा गया था कि
गुट में शामिल होना प्रांतों की मर्जी पर है । वक्तव्य के अंत में गुटों से
बाहर निकलने की स्वतंत्रता दे दी गई | वक्तव्य के प्रथम भाग का अर्थ यह
है कि गुटबंदी के समय प्रांत को आजादी है कि वह उसमें शामिल हो या
नहीं । हमने तो यही अर्थ समझा और इसी लिए काँग्रेस ने उसे स्वीकार
किया | पर अब यह कहा जाता है कि गुट बनते समय भी प्रांत को यह
आज़ादी नहीं है कि वह गुट में शामिल न हो और न उसे यही अधिकार
है कि वह अपना विधान स्वयं बनाये । विधान तो समूचे गुट के प्रतिनिधि
मिलकर बनायेंगे । इसका मतलब यह हुआ कि हम हिन्दुस्तान का विभा-
जन मंजूर कर लें और पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत और आत्ाम को उन छोगों
के हवाले कर दें जो खुल्लमखुल्ला यह कहते हैं कि वे भारत को दो भागों में
विभक्त करने पर तुले हैं। ग्रहयुद्ध यदि अनिवार्य ही हो गया है तो हो, पर
गृहयुद्ध की धमकी से हम गलत काम करने पर लाचार नहीं किये जा सकते।
बहुत सम्भव है कि भारत के एक कोने में गृहयुढ हो मौर हमे अग्रजो से भी
लड़ता हो । वे गरहयुद्ध की धमकी देते हैं, चाहते हूँ कि हम आपस में लड़ते रहें
ताकि वे हम पर हुकूमत कर सकें---मुझें यह सब कहने में ढुःख होता है ।
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