श्री मनोहर सिंह महता ( समर्पित लोक सेवक ) | Manohar Singh Mahata [ Samarpit Lok Sevak ]
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. रेणुका पामेचा - Dr. Renuka Pamecha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काका को जीवन में आर्थिक ही नहों अन्य प्रकार की कठिनाईयो का भी सामना
करना पड़ा किन्तु वे कभी क्षण मात्र के लिए भी विचलित नहीं हुए ओर अपने
मार्ग पर ईमानदारी व निष्ठा से चलते रहे। श्ञायद यही उनकी सफलता की कुजी थी।
काका देश-प्रदेश व क्षेत्र की कई सामाजिक एवं स्वयसेवों सस्थाओ से
घनिष्ट रुप से जुड़े हुए थे। उन्होंनें कई सस्थाओ का निर्माण भी किया। वीगोद का
सेवा सघ व सहकारी समिति उनकी महत्वपूर्ण रचना थी। सस्थाओ में निष्ठा
ईमानदारी रहै यह उनका मूल सन्त्र धा किसी भी सस्था के साथ जन्म जन्मान्तर तक
चिपक रहना उनके स्वभाव में नहों था। वे अन्य लोगों को आगे लाने में विउवास
करते थे, और ऐसा हो उन्होने किया।
काका के रचनात्मक कायं मे वैद्य नन्दकुमार का सवे ज्यादा सहयोग रहा!
सेवा सध की स्थापना सं लेकर सहकारिता आन्दोलन के पूरे प्रयोग में वे सदैव काका
के साथ रहे। आज भी सेवा सघ वीगोद वैद्य नन्दकुमार की अध्यक्षता मे कार्यरत है।
इस पुस्तक को लिखने का बीडा भी मेने उनकी ही प्रेरणा से उठाया। उन्होंनें सन् 31
से अव तक क कार्यो का समस्त विवरण व फाईले उपलब्ध करवा कर इस पुस्तक
की सूचनाओं को विश्वसनीय बनाया है, इसके लिए में व्यक्तिगत रुप से उनके प्रति
अत्यन्त आभरी हूँ!
मैं उन सभी परिजनों एवं काका के साधियो और सहयोगियों के प्रति आभारी
हू, जिन्होंने मुझे इस स्मृतिग्रन्थ कौ प्रेरणा ओर सहयोग दिया। मैं उन विदूजनी के
प्रति विशेष आभारी हू, जिन्होंने अपने सस्मरण लिखकर इस ग्रथ की उपयोगिता
बाई इष ग्रन्थ का सम्पादन जने माने विचारक चिन्तक, लेखक श्री बालूलाल
पानगड्या मे किया जो काका के घनिष्ठ मित्रो म थे। मैं उनके प्रति सादर आभार
प्रकट करती हूँ।
टकण के कार्य के लिए श्री पुष्पेन्द्र चौधरी का मैं आभार प्रदर्शन करती हू। मैं
श्रीमती राजकुमारी सूद का भाषा सुधार के लिए आभार प्रकट करती हू! इस समस्त
कार्य में मेरे पति श्री सुरेन्द्र सिंह पामेचा का अत्यन्त प्ररेणादायी सहयोग रहा,
जिसके कारण यह कार्य सम्पन्न हो संका।
बीगोद सेवा सघ ने प्रकाशन का भार उठाकर न सिर्फ काका के कार्यों को
गरिमा प्रदाव की, बल्कि समघ्त आधिक भार उठाकर प्रकाशन को आसान बना
दिया। सेवा सघ बौगोद के जरिए में उन स्यस्त कार्यकर्ताओ के प्रति आभार प्रकट
करती हूँ जिन््होनें काका के साथ काम किया और आज भी कर रहे है।यह स्मृति ग्रन्थ
शा.
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