सत्यार्थप्रकाशस्थ शब्दार्थभानुकोष | Satyaarthaprakaashasth Shabdaarth Bhaanukoshh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
संस्कृत | भाषाथ व्याख्या
हे में प्रहत होने का नाम अधमों-
चरण है |
५८ अधिकार अखत्यार किष काय्य मे व्यवस्था देने
की दक्ति की नाम अधिकार है ।
*২| अन्य दूसरा ओर | एक से भिन्न का नाम भन््य है।
६० अक्षय | नाश रहित | जिस आनन्द का बिन भोगेनाश
आनन्द आनन्द | न ही। उसको अक्षयानस्द कहते
है जले मुक्ती रूप आनन्द ।
६१| अयुक्तं |जोयुक्तनदो फास! में ,नामुनासित्र कहते हे)
ठाॉक न हो
६९ असूया | ऐब ভুলা | মুত में दो पल गाने का नाम
লা অল্মা ছু।
६३ आअर्यदृूषण | घन को बुरे वेहयागमन आर मथ्य वांसादे
कामो मखगाना| म अथवापूषे ब्राह्मणो को दानादि
फरन ओर फिर वह घन पापा
चरण में व्यय दोकर जो दोष
उत्पन्न होते हें उन दोनों को अर्थ
दूषण कद्दते हैं ।
न
४४ अत्यन्त [बहुत उमड़ से| जो काम दोने योग्य नर्हा उसमें
उत्साहप्राति। भरा इआ | भीलगे रहने रूप क्रिया का नाम
यक्त उत्साह है | उस से बहुत লিলি
गा हुए को अत्यस्तें उत्साह प्रतियुक
| क्ते हें ।
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