सत्यार्थप्रकाशस्थ शब्दार्थभानुकोष | Satyaarthaprakaashasth Shabdaarth Bhaanukoshh

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Satyaarthaprakaashasth Shabdaarth Bhaanukoshh by प. ब्रह्मानन्द शर्मा - Pt. Brahmanand Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) संस्कृत | भाषाथ व्याख्या हे में प्रहत होने का नाम अधमों- चरण है | ५८ अधिकार अखत्यार किष काय्य मे व्यवस्था देने की दक्ति की नाम अधिकार है । *২| अन्य दूसरा ओर | एक से भिन्न का नाम भन्‍्य है। ६० अक्षय | नाश रहित | जिस आनन्द का बिन भोगेनाश आनन्द आनन्द | न ही। उसको अक्षयानस्द कहते है जले मुक्ती रूप आनन्द । ६१| अयुक्तं |जोयुक्तनदो फास! में ,नामुनासित्र कहते हे) ठाॉक न हो ६९ असूया | ऐब ভুলা | মুত में दो पल गाने का नाम লা অল্মা ছু। ६३ आअर्यदृूषण | घन को बुरे वेहयागमन आर मथ्य वांसादे कामो मखगाना| म अथवापूषे ब्राह्मणो को दानादि फरन ओर फिर वह घन पापा चरण में व्यय दोकर जो दोष उत्पन्न होते हें उन दोनों को अर्थ दूषण कद्दते हैं । न ४४ अत्यन्त [बहुत उमड़ से| जो काम दोने योग्य नर्हा उसमें उत्साहप्राति। भरा इआ | भीलगे रहने रूप क्रिया का नाम यक्त उत्साह है | उस से बहुत লিলি गा हुए को अत्यस्तें उत्साह प्रतियुक | क्ते हें ।




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