श्री माधवनल कामकलंदा | Shri Madhavanal Kamakalanda

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Shri Madhavanal Kamakalanda by शालिग्राम वैश्य - Shaligram Vaishya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजां+- महाराज अब अभिनय देखियेकि ऐसा সাঘন জা जताई कभ्भीदेशा तो क्या परंतु सुनाभी नहोगा. धो*-हां इध्वीनाथ सत्यद्‌ (यह कहकर मन हँस) (पदी शप) धन्यै परमेश्वर तेरी महिमाकी इन मू्खोकी यह अभिमान. (कामकंद्ला माधवनलकी ओरदखकर गातीहे) „. , रागनर कहे को चंद बदनकी शो भा जाको देरबतनगर नारिकेसहजहितेमनली भा मनहूँचंद्रआकाशछाहिके भूमिडवनकी आये নদ कारणअपनोरूपछिपायों कसानकााक्षबाणसे अलक भ्रमर घु घरोरे दूरवतेरवनयेधतरैमनकोक्चनष्िसकनधिचार ৬ धर्म रक्षक यह क्या रागहे . বাজী লক, ेल्‍ | विंदृ७-दीरद्याल मदती-नवद्शधघद शिरपरधर झरपट बैंसफ জানাই क्या यहभी अववौसपर चंढेगी अर तरस दस्मों कहा करता है इसने तो एककला भी नहींकी यह कैसा नट उछलहे न कूद है कुश्तीहे न कठाहे इसमेंन टका एक छक्षणभो नहीं पाया जाता. राजा« - नहीं नहीं आप क्या समझे बह नटरागका नामहे विष्टर तै कख चिता नरी भव हमार सव संदेह जागरहा पः “परंतु रागका नाम नर किसी नठखरने रकराहे अच्छा




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