गुरु और माता पिता भक्त बालक | Guru And Mata Pita Bakht Balk
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गुरु और माता-पिताके भक्त बालक
उनके आगे रखनेके लिये दोड़ पड़े । परंतु जूतेके पास दोनों
साथ ही पहुँचे | इसलिये अब उनमें यह झगड़ा उठ खड़ा
हुआ कि गुरसेवाका यह पुण्यकर्म कोन करे | अन्तमें दोनोंने
यह निश्चय क्रिया कि दोनों आदमी एक-एक जूता उठाकर
गुरुके चरणके अगे र्लं । एता दी किया गया ।
इस वातकी खबर खलीफाके कानोंमें पहुँची और उन्होंने
शिक्षककों बुला भेजा । मार्मूने शिक्षकसे पूछा कि आज
दुनियामें सबसे अधिक प्रतिष्ठित और पूज्य कौन है !” शिक्षकने
कहा--शवसल्मानेकि खामी मार्मूंकी अपेक्षा अधिक प्रतिष्ठित
और कोन हो सकता है ?” मार्मेने कहा--“नहीं, वह पुरुष
है जिसका जूता सीधा करनेके लिये मुसल्मानोंके खामीके
पुत्र परस्पर झगड़ते हैं !?
शिक्षकने उत्तर दिया कि 'मल्ले अपने शाहजादोंको
ऐसा करनेसे रोकनेकी इच्छा हुई; पर पीछे विचार हुआ कि
मैं इनकी श्रद्धाकों क्यों रोक १! मामूने कहा--“आपने इनको
रोका होता तो में बहुत ही नाराज होता। इस कामसे इनकी
इज़त कुछ कम नहीं हुईं, बल्कि इससे इनकी कुलीनता और
शिशचारका परिचय मिलता है । बादशाह, पिता ओर गुरुकी
सेवा करनेसे प्रतिष्ठा बढ़ती है, घटती नहीं ।'
ऐसा कहकर उन्होंने गुरुमक्तिके बदले लड़कोंको हजार-
हजार दरहम पुरस्कार दिया ओर अध्यापकका कर्तव्य टीक-टीक
पालन करनेके कारण शिक्षककों भी उतना ही इनाम दिया।
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