उत्तर प्रदेश में पूर्वाञ्चल व्रत, त्यौहार एवं मेले | Uttar Pradesh Men Purvanchal Vrat, Tyauhar Evm Mele

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Uttar Pradesh Men Purvanchal Vrat, Tyauhar Evm Mele by अर्जुनदास केसरी - Arjunadas Kesari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनन्त चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी विष्णु उपासना का प्रतीक पर्व है। विष्णु जगत के पालनकर्ता है। भाद्रपद की शुक्लपक्षीय चतुर्दशी को विष्णु भगवान के पूजन की परपरा अनादिकालीन है। “विष्णु पुराण” मे इनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है! अभिजात्य और जनजातीय वर्गों में भी विष्णु की पूजा का विधान है। अनन्त चतुर्दशी के दिच आदिवासी जातिया नृत्य-संगीत का आयोजन करती है जो प्राय चौंबीस घण्टे तक निरतर चलता है। पूर्वांचल के भोजपुरी भाषी जनपदो मे प्रत्येक घर में अनन्तदेव की पूजा की जाती है। इस दिन अनन्तदेव कच्चे धागे से बनाये जाते है। उन्हे इल्दी के रग में रगकर बाह में पहना जाता है। हमारे यहा प्रत्येक पर्व पर कुछ विशिष्ट प्रकार के भोजन-व्यजन बनाने की परपरा है। इस दिन सेवई और पूडी बनाकर खायी जाती है! मोजन की इस विविधता के कारण पर्व की याद रहती है। पूर्वांचल के प्राय प्रत्येक जनपद ओर गाव मे चिष्णु की प्रतिमाए मिल जाती है। ऋग्वेद मे विष्णु को कई पदार्थों का वाचक कहा गया है।' सूर्य की व्याप्ति के पीछे विष्णु काही महत्व है । मृग, अग्नि ओौर सौम को भी विष्णु कहा गया है। डॉ. जनार्दन उपाध्याय के अनुसार “विष्णु, ब्राह्मण, वैदिकोत्तर साहित्य, पुराण, इतिहास, काव्य आदि मे ईशत्व को प्राप्त कर सर्वजन पूज्य हौ गये । पुराणो मे विष्णु का रूप इतना प्रांजल ओर भाष्कर हुआ कि उनकं विभिन्न अवतारो तक की कल्पना कर ली गयी! भक्ति आन्दोलन द्वारा यही विष्णु जनमानस मे ओर प्रगाढ ठग से प्रतिष्ठिते हो गये | विष्णु लेक-रक्षक देवता हैँ । इसी कारण उनका अवतार मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण के रूप मे भी हुआ | इनके विभिन्‍न कूपौ की आराधना सं सुख-णाति, सम्पन्नता, समृद्धि, आनन्द, मंगल की प्राप्ति होती है। प्रसन्‍न-मुख विघ्न-निवारक है { जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण भगवान से पूछा कि सकट से मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए तो श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से अनन्त भगवान की उपासना का निर्देश देते हुए कहा था-“मै ही अनन्त हू, मै ही विष्णु हू! इसलिए मुझे 7 ऋग्वेद विष्णुशृक्त 7,154 2 आज साय समाबार (क्फ লি) 17 सितम्बर 7272 प्‌ - 67 (16)




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