स्वास्थ्य का राजमार्ग | Swasthya Ka Rajmarg
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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No Information available about प्रभुदयाल हिम्मत सिंह - Prabhudayal Himmat Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दवाओं का प्रयोग हानिकारक | [ ই
सम्यक् विवेचना की जाए। यहं विश्वास है कि सत्य से परिचित
होने पर विशेषज्ञ भी और सामान्य व्यक्ति भी औपधियो द्वारा
किए गए उपचार की पद्धति के दोषो को जानकर उसका वहिष्कार
क्ररेगे रौर फलत इस पद्धति का प्रचलन समाप्त हो जाएगा ।
आधुनिक वेज्ञानिक चिकित्सा-प्रणाली के अनुसार किसी भी
पेग का उपचार प्रवय ही शीघ्रतम हो जाता है, परन्तु भ्रनजाने
ही कितने नए रोगो का जन्म कब हो जाता है यह श्ज्ञात ही रह
जाता है । यह एक दुखद तथ्य है कि आध्चुनिक चिकित्सा प्रणाली
द्वारा डाक्टर एक रोग का उपचार करते हुए श्रन्य अज्ञात रोगो
एक ऐसी श्र खला श्रनजाने मे ही वनाते जाते है कि कालान्तर
मे रोगी स्वय मूतिमान रोग बनकर रह जाता है। साथ ही
आ्ौषधियों का दास बन जाता है। एक दिन ऐसा भी आता है जब
कि रोगी औषधियो को नही खाता अपितु श्ौषधियाँ ही रोगी को
खाने लगती है । आधुनिक चिकित्सा-प्रणाली के प्रसिद्ध एव प्रमुख
विशेषज्ञ डाक्टरो की उक्तियाँ ही इस उपयुक्त कथन का प्रमाण है
जिन पर शागे आने वाले श्रध्यायोमे प्रकाश डालने का प्रयत्न
किया गया है।
. ऐसे कुछ जाने-माने अ्रनुभवी डाक्टसे ने जिन्होने रोगियों की
सेवा मे ही अपना जीवन श्रपित कर दिया, ऐसे मनीपियों ने भी
अपने अनुभव से यही सार निकाला. है कि औषधि-प्रयोग से रोगी
स्वस्थ तो होता ही नही अ्रपितु उनकी प्रतिक्रिया-स्वरूप उसका
स्वास्थ्य श्रौर अधिक, बिगड जाता है, क्योकि श्रौषधियो का प्रयोग
प्राकृतिक प्रक्रिया मे वाधक होने लगता है। इस प्रकार यही सिद्ध
होता है कि गत-तीन हजार वर्पो मे हजारो प्रकार की श्रौषधियां
आविष्कृत हुई है फिर भी अनुभवी लोगो का यही कहना है कि
ड्रोग-का जन्म.,रहस्यमय है 1 शरीर पर '्रौषधियो की क्या प्रति-
क्रिया होती है-यह बात्त निश्चित रूप,से तो नही कही जा सकती |
परिणामंत ;दवा और रोग जिनके उपचार के लिए दवा दी जाती
है इन दोनी केःविषय मे आज़ भी स्थिति अतिश्चित,सी ही है ।
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