प्रषोत्तर रत्नमाला | Prashnottar Ratnmala

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Prashnottar Ratnmala by ब्रहमदत्त शर्मा - Brahmdatt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११) ।. म०--डाकू बौस हैं उ०्न-विषय ह व१म०-एससार की बेल क्या डे « इ०--उप्णा। कम्म०शय कौन है उ०--झाठाम्य । करमाजय मिहमरणादपि कोविशिष्यते रागी । क' शुरो यो सलना लोचन कटाक्षनेव्यधित, ॥८॥ १७ मेणाससार में भय किस से ज्षगता हू । उ०--मरने से । न+मु०थन्व से भी बढ़ा थन्धा कौन है? खउ०--रागी। सम म०यलवान कौन दे उ०--जो सियों के लोचन (भक्त ) रुप याणों से धायल नददीं हुश्ा 1 . पाठ कणी्नलिमि किमसतमिय्‌ बुध्यते सदुपदेशः कं गुरुताया मूल यदेतद्‌ पार्थन नाम ॥ ९ ॥ पससल सियकनय यन क ि अ हैं कस, कोंघ, लोम, मोह, अमिमान, मरसरदा ३




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