भूदान गंगा [खण्ड 1] | Bhoodan Ganga [Part 1]

Bhoodan Ganga [Part 1] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छठ छडष् समाख 1७ मुझे खुशी हो रही है कि यहाँ कुछ गरीबों ने मी दान दिया। असक में कैना है भीमानों से ही सछेफिन यरीत्रों क्रो मी पुण्य कौ दान बये प्रा होनी घजाहिए। उ््हें मी आापठ में एक दूसरे की फिए करने का पे समझना श्वाहिए. | शिनको लाने को मी नहीं मिलता ऐसों को कुछ देना गरीबों का मी धर्म है। मरीब के घर में मौ नया छड़का वैदा होता है तो सब धॉँटकर ग्राते हैं। इसी तरइ उमझना चाहिए कि हमारे पर में पाँच জর हैं तो कटा छड़का समाज है| चादे औमान्‌ हो बा गरीब, उसके घर में और एक स्वक्ति है शितका हिस्सा देना इरएक का कर्शष्प है। फेवर भूमि भौर रम्पचि का दौ हिस्ठा नहीं बश्कि अपनी शुद्धि दाक्ति, क्ृमय कांमी हिस्सा दान में देना आहिए। यह दान-पर्म 'नित्मणम? के तोर पर इसें अपने धाल्नक्मयो ने अिल्ाबा है।( जैसे! इस रोज खाद बैसे दी रोद दान मी देना 'बाहिए,। १ १ चोर দম पाप षषूस १८१ यहाँ श्मुनिस्टो ऋं उपद्रव है, तो स्के बन्दोषस्त फे जिय सरकार की মিজি জামী | উদ্দিন ইত কচ হীনা के शरभ तरदं फरणाहा यार पर सोंठ रूगाने से कम नहीं घल्लेगा | उतके ভিত हो पेट के रोस को बुरुस्त करनेबाली बा बाहिए । रुपनिपरो मे राग्य कहता है हि ब में स्तेगो छुपे ल कदे मेरे राम्प में कोई चोर नहींद्रे और कोई कमल नदी । कव ओरों के बाप होते हैं। ये 'दोरों को, डाकुश्यों करो पैरा बरते हैं। इसी तरह भाव জা अपने पास इमारों एकड़ बमीन रखत हैं. वे कम्युनिस्टी को पैशा करत हैं। समझने ष्टौ बाव है कि सप्रद करमे की दृत्ति पाप है! कर्क से मतदढा इछ नहीं ছা सकता | कासूत से मी बहुत योड्ा काम हो सक्या है। कावून मेरे समान गरीबो से बमीन नदी हे षष्ठा । उल एक मादा पवौ रै। भम्निबस हइदक-परिगर्वन होता १ शहा सर्जस्व प्पाय करमबासे कप्मीर निरुशत हैं। सूभौदेर १५११




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