केवलानंद छन्दावली | Shri Kevalanand Chhandavali

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Shri Kevalanand Chhandavali by छोगमल सेजमल - Chhogmal Sejmal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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কুনু কু श्राकवलरानन्द छन्दावली ५ | कार» का कउस्समभ ললল करना जर नमो अरिष्ताण पसा बोखके फाउसखम्ग पा- रना; फिर ले।ग्गस्सका पाठ कहना. ( अचष्ट्प इतम्‌, ) छाग्गस्स उस्नयगरे, धस्म तिथ्थयरेजिणे ॥ आरिहते कितडसं, चउर्बासिपि केवरी ॥ ८ आया वृतम्‌, ) उस्भ--मजिये च वंदे, सभव मभि नदण च सुमइ च ॥ पठमष्पट्‌ं सुपासं, जिण ५/च चदप्पहं वंदे ॥ २ ॥ सुविहे च॒ पुप्फदेतं * शिअल सिज्ञच, वासुपुजच ॥ विमरू-मणंत्ं प च जिण, धम्मं सति च वदामि ॥ २॥ कृधु अरं च मर्ष्ट, वदे मुनि सुव्वयं नमिजिण च 6 ॥ वदामि रिठनेमि, पाक्तंतह्‌ बद्धमाण च ॥ ‰ 8 ॥ एव्मएु अभिथ्युया, एवहुय रयमरा, प- तेकर करे के ০০৩ মু পা চি ই জী मे ৯৯9 কক ইইউ ০৩০০০




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