नयी तालीम | Nayi Talim

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Nayi Talim by मोरार जी देसाई - Morar Ji Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गाँधीजी --इसीलिए जो माँसाहारी है पतसे में बहा हूँ मि यदि और बुछ न मिले तो मौँस, अण्डे प्राभों लेविन झपाहारं वी बहूँगा शत ने मिले तो भूये मर जाओ। दक्षिप आफिता में सत्याग्रहियोने शावाहार वे लिए विस तरफ तरवारी जमा पी थी घह समधने लायव हैं। शावाहारी वो बनस्पति-झास्त्र जानना ही चाहिए। देहात में गरीबों को शशिया के लोगो जैसा बनाना है 1 शास्ता बहन --सेवाप्राम वी आबादी घहुत यड गई है, नई आबादी बढानी हूँ तो घरोरी व्यय्रुवा कसी हो ? गाँधीजी --तया सेकाग्रम बघसामा हो तो जगह हम देंगे | लोग घर अपने उप बनाएँ मगर ऊमीम पर उनवा हक नहीं होगा। यदि घर बदलना पडा तो जो दूसरा आदमों जाएगा बहू घर बनाने जितना पैसा लगाया गया होगा उतना देवर पर ले सबेगा। लेकिन लोग घर के लिए जमीन माँगकर घर बसा सेंगे परन्तु पैसे भी झगह परिश्रम देवर खली रहने के लिए घर तेना पसद “ही बरेंगे हमारे हाथ में जजरुत्त, नहीं है और में आाचार-विचार वा भी जोर नही बर सकता हूँ । में जो सत्पाग्रद्द वरना चाहता हूँ वेसा हो तो जनता मुझे आप ही सहारा दे देगी। मगर लोग मुझे समझ लें। बे मुझे समसे तो किर मेस स्वप्न ~सन नही रहेगा! हमारे येतो को में उजाड दूँगा ओर लोगा को दसने वो लिए जगह दे दूँगा। वे आज भी हभारे यहाँ आ जाएँगे लेकिन मे चाहता हूँ कि दे यह करनेको तयप्र नही है। वे यह चाहेंगे कि,जमीन मिल जाएं उसके लिए में तेयार লতী हूँ । में जमीन का मालिक रहं यह वे नही मानेंगे। वे तो जपीन माँगेंगे शान्ता बहन ---गाँव में दो पिस्म के आदमी हूँ। एक तो वे जिनके पास जमीन नहों हे ओर जमीश के मालिक नहीं बनेंगे लेकिन पैसा और परिश्रमं लगाकर मकान वनाना वाहते है1 दसरेवे हैं जिनके पास जमीन दं वसा नही हूँ यदि वे अपनी ज्मीन पर घर बनाएँ वो किस्तों द्वारा पैसा अदा बरेगे पर तब तक वे घर पर कब्जा नदी रखेंगे ऐसे लोगोको किस तरह मदद करनी होगी ¢ ४४1 (गई हालौम




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