एहसास के रंग | Ehsaas Ek Rang

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Ehsaas Ek Rang by बुनियाद हुसैन 'ज़हीन'-Buniyad Husain 'Zaheen'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अपनी बात हादिसे मेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं! इन्हीं हादिसो ने मुझे जीने का हौसला बख़शा और शे'र कहने पर मजबूर किया। हादिसे भी मुझे उतने ही अजीज हैं जितनी की शाइरी अजीज हे! शाइरी मेरे जज्बातो -एहसासात को बयान करने का ज़रीआ है। पने -राद्रो से मुञ्े वाक्रिफ करवाने में मेरे उस्तादे मुहतरम मुहम्मद हनीफ़ साह 'शमीम' वीकानेरी (जा-नशीने मस्तान) का वहुत्‌ बड़ा हाथ है। शमीम साहब ने क्रदम-क्रदम पर मेरी रहनुमाई फ़रमाई में दिल की गहराइयों से उन का शुक्रगुजार हूं। मेरे वालिद मुहतरम आविद हसन साहव ने भी हर लम्हा मेरी हौसला- अफजाई फरमाई ! जिनकी कोशिशों ओर तआबुन से महल्ला भिर्तियान में मुशाइरों का इन्ञिक्राद होता रहा है। में मुहतरम अहमद अली ख़ां साहब 'मन्सूर' चूरूवी, मुहतरम शीन काफ निजाम साहव, मुहतरम मिस्त्री अमीनुदीन साहव, जिनकी अदबी ख़िदमात हमारे लिये बाइसे-फ्र हैं और मुहतरम डॉ. मुहम्मद हुसैन साहब का ममनूनो-मशकूर हूं जिन्होंने अपने ताअस्सुरात से मेरी शे'री जहानत को चार चाद लगाये। साथ ही जनाब अल्लाह बख़श साहब 'साहिल' उर्फ कालूजी, जनाब बाबू जमील अहमद साहब, जनाब सईद भाई साहब, जनाव सरदार हुसेन साहब व तमाम दोस्तो ओर अहल-महल्ला का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरा होसला बढ़ाया। मेरा ये मजमूआ एहसास के रग' इन्दी हनरात की मुहन्वतो ओर दुआर्ओं से मंजे-आम पे आ सका। मै उम्मीद करता हूं कि आपका ओर बीकानेर की अवाम का प्यार मुञ्चे इसी तरह मिलता रहेगा] -- बुनियाद हुसैन भनहीन एहसास के रंग. 13




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