महात्मा ग्वीसेप मेजिनी का जीवन चरित्र | Mahatma Gvisep Mejini Ka Jeewan Charitra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahatma Gvisep Mejini Ka Jeewan Charitra by बाबु केशव प्रसाद सिंह - Babu Keshav Prasad Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बाबु केशव प्रसाद सिंह - Babu Keshav Prasad Singh

Add Infomation AboutBabu Keshav Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १३ ) कर ऐसा जाल सारी पृथ्वी पर फैलाया है कि क्षण क्षण पल पल का समाचार इन्हे मिलता रहता है। हिमालय की हिमाचलादित चोटियां, मर्भुमि और जद्जल के भयंकर पशु,सिन्धु, गंगा और जद्यपुत्र फे श्रथाहं जल समी इनके निकर तुच्छ हे-तुच्छ दी नदीं वरन्‌ इनकी आक्ञा के आधीन ह । अपनी बुद्धिमत्ता तथा धुतता से ऐसा सुप्रवन्ध करते हैं कि सन प्य फी इतनी बड़ी संख्या इनकी दास हो रही है | भूमएडल का ६ वां भाग इनके आधोन हो है। यदि यह सब कुछ उन्हें प्राप्त है ओर हमको नहीं, तो जो प्रश्ष स्वतःहृदय में उठता है वह यह है कि वे कौन से ऐसे गुण है जो उनमें पाए जाते हैं और हम सब में नहीं हैं। हमारा उत्तर केवल यही है कि वे उन मनष्य-जातियाँ में से है ज्ञो मेज़िनी जैसे पुत्र उत्पन्न करती हैं । अंगरेज्ञो जाति के एक पक बालक की रग में देश-हितैपिता तथा खजातीयता के अ्र्भुयाग का रक्त धधक रहा है | हर एक मलचुप्य चाहे तृद्ध हो या युवा नित्य यही विचारता है कि खज्ञातीय उत्कएता, खज्ञातीय माव, स्॒जातीय उन्नत्ति, तथा खजातीयथ र्द्धा के पालन का भार उसके माथे है। यदि जाति की अवनति अथवा निन्दा होगी अ्रपमान होगा, अथवा श्रन्य जाति से पराजित होगी, जो कुछ अवनति जाति में होगी चह खयं उस का कारण समस्ा जायगा; अतपव उनको उचित है कि बह सम्पूर्ण संकट्पौ मे श्रेष्ठ अपनी जातीय उन्नति फे संकल्प को समे । परमेश्वर ने ऐसी जाति से हमारा सम्बंध कर दिया दै जिसका प्रत्येक बालक शूर वीर, उदार चतुर, देशदिवैषी तथा खजातीय प्रतिपालक हे | इससे आप यह वात्पय्यं न निकाले कि उनमें फोई वयु वा दोष नदीं, दोषो से रहित वो केवल एक परमेश्वर है ! सेरा तात्पय केवल उनके सद्रणो से है, और इसमें कुछ संदेह नहीं कि वे लोग खजातीय ग॒र्णों




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now