बीता हुआ भविष्य | Biitaa Huaa Bhavishhy

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Biitaa Huaa Bhavishhy by बाल फोंकड़े -Baal Fonkre

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका तेरह नहीं है। अधिकांश उपलब्ध भारतीय भाषाओं का विज्ञान कथा-साहित्य स्टर्जीऑन के विचारों से प्रभावित दिखाई टेता है। इसलिए, विज्ञान के किसी भी विकास को परिशुद्धता से प्रस्तुत करने को नहीं भूलना चाहिए तथा यह भी कि वह प्रस्तुतीकरण कहानी के रूप में हो। इसी तरह, कहानी का ताना-बाना सामान्यतया मानव के आसपास ही बुना जाना चाहिए। भारतीय विज्ञान कधा-साहित्य की इसी प्रबल अंतर्धारा ने प्रस्तुत संग्रह के लिए कहानियों का चयन करते हुए महत्वपूर्ण एवं बुनियादी नियमों का काम किया | इस मुख्य आधार की उपेक्षा करना न तो उचित था और न ही प्रातिनिधिक | ऐसा माना जाता है कि विज्ञान कथा-साहित्य का विकास चार विभिन्‍न चरणों में हुआ है। इस विधा के उद्भव के ठीक समय के बारे में पर्याप्त विवाद रहा है। कुछ विद्वान इस विधा के उद्भव को संभव है कि गिल्गामेश के बेबिलोनियाई महाकाव्य में खोजें। सभ्यता क॑ उषाकाल की कहानियों में विज्ञान कधा-साहित्य का उद्भव खोजने का प्रलोभन भली प्रकार समझ में आता है। इसी तरह के विचारों एवं तर्कों को भारतीय समीकरणों में उतरते देखा गया है जहां आज के आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को वेदों से जोड़ा जाता है। निष्पक्ष एवं तर्कपूर्ण विश्लेषणों के आधार पर सभी इस बात से सहमत हैं कि मरी शैली कृत प्राचीन उत्कृष्ट ग्रंथ क्ैक्स्टीन' ही प्रथम विज्ञान कथा है। यह विटंबना ही है कि प्रैक्स्टीन वास्तव मेँ उस वैज्ञानिक का नाम था जिप्तकं अजीवागरीव परीक्षणं की परिणति है वह देत्याकार रास, जिसं आज प्रकस्टीन समज्ञा जाता हे । संभवतया यह परिणाम भी उस मानवीय भूल का हो सकता है जो राक्षस की छाया में विज्ञान के छिपे काले पक्ष की आशंका से जन्मा हो और जो प्रयासकर्ताओं को भुगतना पड़ता है। यह चाहे कितनी भी भयावह प्रतीत हो, मेरी शैली की कृति से उभरी अंतर्धारा में एक ऐसी पृष्ठभूमि-थी जो साहसिक व रोमांचकारी थी और जिसने विज्ञान कथा-साहित्य के आरंभिक एवं मुख्य काल में अपना वर्चस्व बनाये रखा। यह स्थिति शताब्दी के तीसरे जौर चौधै दशक तक रही । जान कंम्पवैल दारा आसिमोव, हेनलीन और ऑर्थर क्लार्क जैसे लेखकों की सहायता से जब इस विधा में आमूल परिवर्तन किया गया तो सदियों से चले आ रहे इसके प्रभाव के पाश को तोड़ा जा सका | इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस विधा के विकास का दूसरा चरण गर्न्सबैक और कैम्पबैल द्वारा रची गयी विज्ञान कधा-साहित्य की परिभाषा से प्रभावित था | इसलिए उस समय कं स्पटनशील विज्ञान कथा-साहित्य को आगे बढ़ाने के पीछे विज्ञान का बल लगा धा। विज्ञान जओौर कथा-साहित्य के बीच सामन्जस्य बनाये रना तलवार की धार पर चलने के बराबर था | इस काल के कृतिकारों ने तरस्थ,




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