रूडिन | Roodin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ११ )]
सुन्दरताओं में सब से अधिक निखर उठती थी उसके सुन्दर मुख
की भावालुता जिसमें नम्नता थी, आत्मसमर्पण था और दया थी ।
उसका भावभय मुख सभी को भावुक बना देता था और अपनी
तरफ खींचता था । एक शिशु की भाँति उसकी दृष्टि थी ओर हँसी
थी। वहाँ की और-ओर सुन्दरियाँ समझती थीं, बेचारी बहुत
ही सीधी है । इससे अधिक एक स्त्री को और क्या चाहिए ९
-- “आपने कहा न, मैदाम लासुनस्काया मे आपको मेरे पास
भेजा है ९? उसने पांडालेबस्की से पूछा ।
--हाँ। मैद्म ने मुझे भेजा ।” उसने अस्पष्ट स्वर में उत्तर
दिया । उसके उच्चारण में विशेषता थी। “मैदम ने आज विशेष
कर आपको उनके साथ मभ्याह्न-भाज मे सम्मिलित होने के लिए
श्ननुरोध किया है । मैदम--? पांडालेषस्की जव किसी महिला
का उल्लेख करता था तब वह बहुत ही सावधान रहता था कि
कि कहीं संबोधन में व्यक्तिगत सम्पके का आभास न मिल
जाय ।-- “आज मेदम एक नये अतिथि से आपका परिचय कराना
चाहती हैं |?
-- बे कौन ह १
ভি पीटसंबर्ग के बैरन मफेल, वे एक अतिष्ठित হাজ-
कर्मचारी हैं। प्रिन्स गेरिन में थोड़े दिन हुए मैदम लासुनस्काया
से उनका परिचय हुआ है। सुशिक्षित और संस्कृतिसंपन्न युवक
होने के कारण मैदम उनकी बड़ी प्रशंसा करती हैं ! फिर बैरन
महोदय भी साहित्य में रुचि रखते हैं, ओर--अरे ! कितनी सुंदर
तितली देखिये! जरा देखिये |--हाँ क्या कह रहा था ९--और
अथेशाखतर में । उन्होंने उसी विषय पर एक आकर्षक निबन््ध लिखा
है जिसके सम्बन्ध में वे मैदस का अभिमत जानना चाहते हैं |”
'-- अधैशास््र पर. निबन्ध लिखा है ९”
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