श्वेताम्बर तेरह - पंथ | Shvetamber Terah Panth

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Shvetamber Terah Panth by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चस आर स्थावर -जीवि - -- समान नहीं है। শীতে अब हम तरह पर्यियों के उन सिद्धान्तों पर प्रकाश डालते # जिनके आधार पर तेरहपस्थी छोग प्राणी रक्षा तथा আনুন रके द्विये गये दान में पाप बताते हे | यह तो बताया ही चुका है कि साथु ओर श्ावक्ष का आचार एच नहीं है | उनकी दसरी दर्लाल यह है, - कि एकेल्षिय से लगावर पंचेश्धिय तक ये। जीव समांन हैं। इसलिए एकेश्चियादिक जीते की हिंसा करके पंचेद्धिय की रक्षा काना धमे था एण्य कैसे हो सकता हैं ? ये दत क्वः जीव मारी जीव राखणा, समे नरह दो भगवन्त ययन । ऊधो पथ क्ूगुर चलाविेयो, शुद्ध न सेपरे दो एटा यतर्‌ नयन अनुकम्पा द्वा जदा




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