स्वामी शंकरचार्य जी | Swami Shankarachary Ji
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ उपोद्घात
'नाई' बड़े भांचीन ऋषि हैं। उनके समय का कुछ पता नहीं |
योगशारत्र के प्रणंता भगवान पतजझलि कदाचित् वही
हैं जिनने व्याकरण का महाभाष्य रखा !ये पटना के शुद्ध
चंशी राजा पुष्यमित्र ( खीष्ट से प्राय: पोने दो सौ वर्ष पूर्व )
के समय में विद्यमान थे । तत्वों को संख्या ता पतश्ललिने
मी कपिल के साख्यायुसार मानी है पर इेश्वर सिद्धि की
युक्तियाँ भी इन्होंने लिखी हैँ । योग का अथे चित्तवृत्ति का
सांसारिक पदार्थों की ओर से रोक के इश्वर को ओर
-छगाना है। योग में चित्त के णक्ाग्न करने की विधि और इंश्वर
प्राप्ति का मार्ग बताया है । न्याय, वैशेषिक, पुं ओर उत्तर
-मी मसा, सख्यि तथा योग के छुआओ्रों ग्रन्थ हिन्दुओं के बीच षड-
दर्शन वा घट शास्त्र के नाम से प्रसिद्ध हैं।
शर्म॑ प्रधान इतिहास श्रन्थ रामायण और महाभारत हैं ।
'शामायण को बाल्मीकि ऋषि ने प्रायः रामायण में उल्लिखित
'घटना के समान समय में वा डसके तनिक पोछे बनाया )
रामायण इतिहास ग्रन्थ भी है और काब्य भी । इसके पहिले
संस्कृत भाषा में कोई काव्य नहीं रचा गया अतएव इसका
नाम आदि काव्य भी है । रामायण में अयोध्या के महाराज
दशरथ के पुत्र श्रीरामचन्द्र जी का जीवन चरित विस्तार
पूवेंक्त वर्णन किया गया है | इस ग्रन्थ में ७ काएड और
चौबीस सहस्य श्लोक है | यदि महाभारत युद्ध का समय
स्ीष्ट से १४२४ वर्ष पूर्व मान लिया जाबे तो उस समय में
वतेमान राज़ा वृहद्धल से प्राय: ३० पीढ़ी पूर्व के पुरुष राजा
'शमचन्द्र जी का समय प्रतिपीढ़ा केवड २० वषे ही का
'खेखा लगाने से स ईस्वी से प्रायः २०२४ वर्षं पूर्वं ठहरता
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