जो तुम पास हमारे होते | Jo Tum Pas Hamare Hoote

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Jo Tum Pas Hamare Hoote by डॉ दिनेश गोस्वामी - Dr. Dinesh Goswami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सौगधो के अर्थ खो गए सौगंधों के अर्थ खो गए पल-पल प्यार लुटाने वाले अर्थहीन संबंध हो गए। छले हदय वासंती मौसम जगी तितलियों की आँखें नम कली-कली पर बिखरी शबनम मधुवत को महकाने वाले सुमन सरस निर्गंध हो गए। - मधुघट रीत गया अंतर का, मूक हो गया स्वर निर्झर का, कहीं खो गया गीत भ्रमर का, जनम-जनम की पीडाओं से ब्राणों के अनुबंध हो गए। राहों में मुसका लेते हें भीगें स्वर में गा लेते हें, आँसू को बहला लेते हैं अधरों कौ उन्मुक्त हंसी पर अब सौ-सो प्रतिबंध हो गए। आस अभागिन लगी तड॒पने टूट गए सब सुंदर सपने अपने भी हो सके न अपने भुजपाशों से आज अपरिचित बाहु-वलय के बंध हो गए। जो तुम पास हमारे होते * 18




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