बृहत कल्पसूत्रम् | Brihat Kalpasutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
38 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५
जाणीने उने संमहीने ज हं मारो “भारतीय जेन भमणसंस्छति अने रेखनक्षङा नामनो
ग्रथ रखी शक्यो छ । खरं जोतां ए ग्रथलेखननो पूर्ण यश पृज्य गुरुदेवश्रीने ज घटे छे |
शास्रसंशोधन--पूज्यपाद शुरुवरश्रीए श्रीप्रवर्चकजी महाराजश्रीना शास्नसंग्रहमांता
नवा रूखावेर अने प्राचीन ग्रंथो पैकी संख्याबंध महत्त्वना ग्रंथो अनेकानेक प्राचीन प्रत्यन्तरो
साथे सरखावीने सुधार्या छे। जेम पूज्य गुरुदेव लेखनकतना रहस्यने बराबर समजता हता
ए ज रीते संशोधनकछामां पण तेओश्री पारंगत हता। संशोधनकछा, तेने माटेनां साधनों,
संकेतो वगेरे प्रत्येक वस्तुने तेोश्री पणं रीते जाणता हता । एमना सं्चोषनकट्छनि छगता
पांडित्य अने अनुभवना परिपाकने आपणे तेओश्रीए संपादित करेरु श्रीआत्मानंद-जैन-
ग्रन्थरटनमासामां प्रत्यक्षणणे जोई शकीए छीए |
जैन ज्ञानमंडारोनो उद्धार--पाटणना विशात् जैन ज्ञानंडारों एक काछे अति अव्य-
वस्थित दशामां पव्या हता। ए भंडारोनुं दशेन पण एकंदर दुरूंम ज हतुं, एमांथी वांचन,
अध्ययन, संशोधन आदि माटे पुस्तको मेठ्ठववां अति दुष्कर हतां, एनी दीपो-लीस्टो पण
बराबर जोईए तेवी माहिती आपनारां न हतां अने ए म॑डारो ल्गमग जोईैए तेवी सुरक्षित
उने सुव्यवस्थित दद्यामां न हता । ए समये पूञ्यपाद प्रवत्तंकजी महाराज श्रीशान्तिविजयजी
(मारा पूज्य गुरुदेव ) श्रीचतुरविजयजी महाराजादिं रिष्यपरिवार साये पाटण पार्या अने
पाटणना ज्ञानभंडारोनी व्यवस्था करवा माटे कायैवाहकोनो विश्वास संपादन करी ए ज्ञान-
भेडारोना सार्वत्रिक उद्धारनुं काम हाथ धयं अने ए कायेने सवोगपूर्ण बनाववा शकक्य सर्व
प्रयलो पूज्यपाद शीप्रव्तंकजी महाराजश्रीए अने पूञ्य गुरुदेव श्रीचतुरविजयजी मह।राजभरीए
कर्या । आ व्यवत्थामां बौद्धिक अने श्रमजन्य छाये करवामां पूज्यपाद गुरुदेवनो अकश्प्य
फाठो होवा छतां पोते गुप्त रदी ज्ञानमंडारना उद्धारनो संपूणं यश्चः तेयोश्रीए् श्रीगुरुचरणे ज
समर्पित कर्यो छे |
ीम्बडी भरीसंघना विशार ज्ञानर्भडारनी तथा बडोदरा-छाणीमां स्थापन करे
पूज्यपाद श्रीपवर्च॑करजी महाराजश्रीना अतिविश्ाक ज्ञानम॑डारोनी स्ांगपूर्णं सुन्यवस्था पूज्य
गुरुबरे एकठे हाये ज करी छे । आ उपरांत पृज्यप्रवर शान्तमूर्तिं महाराजश्री १००८
श्रीहईंसविजयजी महाराजश्रीना वडोद्रामांना विशार ज्ञानमंडारनी व्यवस्थामां पण तेमनी
महान् मदद हती।
श्रीआत्मानंद जैन ग्रन्थरत्नमारा--पूज्य श्रीगुरुश्रीए जेम पोताना जीवनमां जेन
्ञानभंडारोनो उद्धार, चाखटेखन अने राखरसंशोधनने रुगतां महान् कार्यो कयां छे ए ज रीते
तेमणे भरी, चै, अर, र, माऽना सम्पादन अने संशोधननुं महान् कायं पण हाथ षयं इं ।
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