नयी तालीम [वर्ष 21] [अंक १] | Nai Talim [Year 21] [No. 1]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मोदीलाल शर्मा शिक्षा; आज का स्वरूप एवं कल की कल्पना कक्षा के कमरों में मारत के भविष्य का निर्माण हो रहा है। शिक्षक रूपी शिल्पी खमाज एव मानता कैः रिष उपयुक्त, श्रेष्ठ, आदर्श नागरिकों के निर्माण में ध्यस्त हैं । शिक्षा ही जोवन है । क्या कया अपेधाएं हैं शिक्षा, शिक्षार्थी एवं शिक्षक से, शिक्षाल्यो से ?े पर वास्तव म হয়া अपेक्षाएँ पूरी हो रही हैं? পরমা हमारा यह विश्वास सुदृढ आघार पर आवारित है २ क्‍या आज वी शिक्षा कछ के तकनीकी छन्‍्करणों से समाज के लिए योग्य नागरिक पैदा कर सफेगी जो समय के साथ कदम बढा सके, परिस्थितियों में अपन आपको व्यवस्थापित कर सके और देश को क्षपेश्षाओं को साकार कर से ? एक बड़ा भारो प्रश्ववाचक चिह्न है! ठो आइये, वर्तमान परिस्थितियों दा विश्लेष्य करें ओर करू की मल्पना दर आवश्यक तैयारी करें ॥ शिक्षा का वर्तेमान स्वरूप किमसौ भी विद्या-सस्यान में प्रव करने पर आप पायेंगे कि भिन्‍व भिन्‍न वगो, घनो-मानी परिवारों, मध्यवर्गीय कर्मचारियों था मजदूर घरानों से, विभिन्‍न पारिवारिक पृष्ठभूमियो, एक व दो नम्बर के खाते रखकर सरकारी कर की चोरो करनेवालो, कालाधन रखतेवालों, पडे-लिखे आदर्श परिवारों, अनपड एव शिता में बचि रखतेवालो, अपराधों माठा त्रिताओं, टूटे परिवारों से आये विभिन्‍न आयु के, अध्ययन एवं श्क्षा फो खरफ रुचि रझान रसनेवाले या शिक्षा से घृणा करनेवाले निवुद्धि छात्र छावाएँ विद्यालय परिवार के भ्रग है, और ३० से ५० के समूहों में कक्ठा के कमरो में अध्ययन कर रहे हैं । झद जाप कल्पना कर सकते हैं विभिनब्ाओ की, विकटतां को, जो इन विद्यार्थी समूहों में विधयमात हैं । अत्येक कष्षा ने लिए वाधिकः खुराक के रूप में पाउयक्रम तैयार किया जाता हैं, भिन्न-भिन विषयो के विशपवा द्वारा। इस ठथ्य को आँखा से ओसल रखकर अगस्त, ७२ | [ १७




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