उत्तर प्रदेश में 10वीं पंचवर्षीय योजना का मध्यावधि मूल्यांकन | Uttar Pradesh Ki Dasavin Panchavarshiy Yojana Ka Madhyavadhi Mulyankan

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Uttar Pradesh Ki Dasavin Panchavarshiy Yojana Ka Madhyavadhi Mulyankan by डी॰ एम॰ दिवाकर - D. M. Divakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राज्य योजना के अधीन नवीं योजना मँ कुल खर्च लगभग 91 प्रतिशत था। 2002-03 में यह बढ़कर 99 प्रतिशत हो गया। विशेष अवयव योजना मेँ नवीं योजना मँ केवल 5 प्रतिशत ही खर्च किया जा सका वर्ष 2002-03 एवं 2003-04 में यह 21.49 एवं 46 प्रतिशत था। जबकि विशेष अवयव योजना का राज्य योजना में हिस्सा नवीं योजना के 19 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2002-03 में 24 प्रतिशत हो गया जो 2003-04 में 21 प्रतिशत पर ही स्थिर रहा। जबकि अनुपातिक खर्च का प्रतिशत লত্রী योजना के 12 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2002-03 में 10 प्रतिशत हो गया। अनुसूचित जाति के संदर्भ में विशेष अवयव योजना का राज्य योजना में हिस्सा खर्च नवीं योजना के 62 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2002-03 में मात्र 6 प्रतिशत रह गया एवं 44 प्रतिशत वर्ष 2003-04 में हो गया। यद्यपि राज्य योजना परिव्यय में हिस्सेदारी 4 से 7 प्रतिशत रही है। विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के अर्न्तगत संतोष्जनक प्रदर्शन रहा है | प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में क्रमशः 132 प्रतिशत एवं 94 प्रतिशत खर्च किया जा सका है। महिलाओं के बेहतरी के लिए कुछ सुधार के उपाय आवश्यक है। वरीयता के आधार पर महिलाओं के लिए योजना निर्माण महित्रा सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कल्याण की तुलना में सशक्तीकरण अधिक अनुनादी होता है। विशेषकर सहभागिता की दृष्टि से अतः इस नीति पर बल दिया जाना चाहिए | सामान्य विकास की बात हो या महिला केन्द्रित विकास की शिक्षा एवं स्वास्थ्य की नीतिगत पहल के लिए दसवीं योजना में बल देना एक सही कदम है। ये दोनों वंचित एवं सुदूर देहात के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। इसके लिए प्रक्रिया पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है बिना फल की अपेक्षा के। दूसरे शब्दों में प्रयास एवं प्रशिक्षण को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि दोनों विधाओं में स्वतः टिकाऊ गति पैदा किया जा सके। स्वास्थ्य विशेष उपायों के लिए प्रथम तीन वर्षों में समेकित दृष्टिकोण अपनाया गया है| सिद्यान्ततः यह विस्तार लगता है किन्तु व्यवहारतः यह काफी जटिल है। जमीनी सच्चाई का मूल्यांकन करते रहने से क्रियान्वयन बेहतर एवं लाभदायी हो सकेगा। जहाँ तक समाज आर्थिक उपायों का प्रश्न है, स्वयं सहायता समूह आदि से निश्चय ही भागीदारी बढ़ी है किन्तु क्रमबद्ध प्रशिक्षण की आवश्यकता है जिसे निष्ठावान एवं समर्पित _ व्यक्तियों द्वारा संचालित किये जाने की जरूरत है जिससे समग्र दृष्टिकोण के साथ धनराशि के उपयोग से लेकर भाण्डारण, बाजार सुविधा आदि की सुविधा मिल सके। सबसे बड़ी बाधा इस मार्ग में समुचित धनराशि एवं निष्ठावान कर्मचारी का अभाव है। समय की मांग है कि निजी क्षेत्र को सामाजिक दायित्व के साथ जोड़ा जाय जिससे धनराशि उपलब्ध हो सके तथा गैर सरकारी संगठनों से समर्पित कर्मचारियों की पहचान की जा सकतीह। ` है ` € | अनुसूचित जाति /जनजाति : छ प्रदेश जनसंख्या वृद्धि दर से अनुसूचित जाति जनसंख्या वृद्धि दर हमेशा अधिक रहा है। अनुसूचित जाति की जनसंख्या प्रदेश की जनसंख्या का लगभग 21 प्रतिशत रहा है। साक्षरता का दर अत्यन्त ही कम रहा है। अनुसूचित जाति के महिलाओं एवं पुरूषों की कुल आबादी की तुलना में काफ़ी कम है। महिलाओं की साक्षरता पुरूष का मात्र 1/4 है एवं सम्पूर्ण में 1/3 है। गरीबी रेखा के अर्न्तगत आने वाली जनसंख्या में प्रदेश में अनुसूचित जाति का प्रतिशत भारत से काफी अधिक है। प्रदेश की आबादी में 21 प्रतिशत होने के बावजूद जमीन के जोत में मात्र 16 प्रतिशत एवं क्षेत्रफल में मात्र 10 प्रतिशत है। लगभग 82 प्रतिशत अनुसूचित जाति प्राथमिक क्षेत्र में काम करते हैं। सामान्य कोटि के लिए यह संख्या 70 प्रतिशत है। दूसरे शब्दों में 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति कर्मकर द्वितीयक एवं अन्य क्षेत्रों में कार्य करते हैं जबकि सामान्य कोटिका 30 प्रतिशत। अनुसूचित जनजाति प्रदेश की आबादी का मात्र 0.1 प्रतिशत है और इनकी वृद्धिदर भी कम है। कुल जनसंख्या के साक्षरता दर से इनकी साक्षरता दर भी कम है। लगभग 85 प्रतिशत जनजाति प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत है और शेष 15 प्रतिशत द्वितीयक एवं अच्य क्षेत्रों में। लगभग 70 प्रतिशत मुख्य कर्मकर खेतिहर है স্‌]




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