रसायन विज्ञान भाग - 1 कक्षा - 12 | Rasyan Vigyan Bhag-1 Class-12

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Rasyan Vigyan Bhag-1 Class-12 by कृष्णा मिश्रा - Krishna Mishraब्रह्म प्रकाश - Brahma Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रसायन विज्ञान संदर्भ मानक किलेग्राम या मीटर सदृश मापन के मात्रक की परिभाषा निश्चित करने के पश्चात्‌ वैज्ञानिकों ने संदर्भ मात्रकों की व अनुभव की ताकि सभी मापन-उपकरणोँ को मानकीकृत किया जा सके । मीटर छड़ों ओर विश्लेषीय ৯ जैसे सभी . उपकरणों को उनके निर्माताओं दवारा अंशाकित किया गया है, ताकि वे विश्वसनीय मापन दे सके । परन्तु इनमें से प्रत्येक | उपकरण को किसी संदर्भ के सापेक्ष मानकीकृत किया गया था। 1889 से द्रव्यमान का मानक किलोग्राम है जो फ्रांस के सेतरेस में प्लेटिनम-इरिडियम (?(-0) सिलिंडर के द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया गया है जो भार व मापन ৮7৪ अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो ५ में एक हवा बंद डिब्बे में रखा हुआ है। इस मानक के लिए ?(६- की मिश्र धातु का चयन किया गया क्योकि यह रासायनिक ५ अभिक्रिया के प्रति अवरोधी है ओर अति दीर्घ काल तक इसके द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। न ”* শী वैज्ञानिक द्रव्यमान के नए मात्रक के लिए प्रयत्नशील हैं। इसके लिए आवोगाद्रो বে का यथार्थ निर्धारण किया जा; रहा है। इस नए मानक पर कार्य. एक प्रतिदर्श की सुपरिभाषित द्रव्यमान में परमाणुओं की संख्या के यथार्थ मापन पर केंद्रित हे है । रेसी एक पद्धति की यथार्थता 10 मै एक अंश है, जिसमें अतिविशुद्ध सिलिकान के क्रिस्टल के परमाण्वीय घनत्व को एक्स-रे दवारा मापा जाता है, पर इसे अभी तक मानक के रूप मेँ स्वीकार नहीं किया गया है। ओर भी पद्धतिर्या है, परन्तु इनमे. से कोई भी पद्धति अभी ?६- ७ छड़ के विकल्प के रूप में सक्षम नहीं है। ऐसी आशा की जा सकती है कि वर्तमान दशकं ' ¦ में कोई समुचित वैकल्पिक मानक विकसित किया जा सकेगा। बा । ৪ आरंभ में 0१८ (273 7६) पर रखे एक 1-17 छड़ पर दो निश्चित चिहनों के मध्य की लंबाई को मीटर परिभाषित किया गया था। 1960 में मीटर की लम्बाई को क्रिप्टॉन लेजर (७४८०) से उत्सर्जित प्रकाश की तरंग-दै्ध्य का 1.65076373>८10* , गुना माना गया | यद्यपि यह एक असुविधाजनक संख्या थी किन्तु यह मीटर की पूर्व सहमति लम्बाई को सही रूप में दर्शाई। ` 1.4 भापन ओर सार्थक अंक (17500000011 2101 51070116710 মঠ) 1.4.1 परिशुद्धता और यशथार्थत्ता (#एपंञ्रंत्ा गाते (0008৮) : वैज्ञानिकों की उच्च विश्वसनीयता का एक मुख्य कारण उनके द्वारा परिणामों को ईमानदारी से यथार्थ रूप में प्रकाशित करना है। प्रत्येक मापन की विश्वसनीयता संबंधित उपकरण के मापन की सीमा और मापने वाले व्यक्ति की कुशलता पर निर्भर करती है | अतः यह आवश्यक है कि प्रत्येक मापन में अनिश्चितता की सीमा दर्शाई जाए। यह सामान्य अनुभव की बात है कि किसी विशिष्ट मापन को दोहराने पर प्रत्येक बार वहीं परिणाम प्राप्त नहीं होता क्योंकि प्रत्येक मापन प्रायोगिक त्रुटि पर निर्भर करता हे। एक ही तकनीक से मापित विभिन्न परिणामो मे थोड़ा अंतर संभव है । किसी राशि के समान मापना से प्राप्त विभिन्न परिणामों म समरूपता को प्रकट करने के लिए परिशुद्धता 1983 লঁ 00 ভাত শীত पुनरपरिभाषित किया गया, जो कि निर्वाति म प्रकाश द्वारा 1⁄/299 792 458 सेकंड मेँ तय की. गई दूरी है। लंबाई और द्रव्यमान की भाँति अन्य भौतिक राशियों के लिए भी संदर्भ मानक हे। के] रणी 1.4 परिशुद्धता और यथार्थता को स्पष्ट करने हेतु आंकड़े शब्द का उपयोग किया जाता है। यथार्थता परिशुद्धता से संबंधित एक शब्द है। इसका तात्पर्य किसी मापन द्वारा प्राप्त परिणाम का वास्तविक मान सामीप्य से हे। आइए, इसे हम एक उदाहरण की सहायता से समझें | तीन विद्यार्थियों को एक धातु के टुकड़े का द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए कहा गया जिसका वास्तविक मान 0.520 ४ है| तालिका 1.4 में प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा प्राप्त आंकड़े दिए गए हैं। विद्यार्थी 'क' के आँकंड़े न॒तो अति परिशुद्ध हैं और न ही यथार्थ | प्रत्येक मान अन्य मानों से काफी भिन्न है और औसत मान भी यथार्थ नहीं है। विद्यार्थी 'ख' द्वारा प्राप्त धातु के द्रव्यमान का मान अधिक परिशुद्ध है क्योंकि विभिन्न मानों मे बहुत कम अन्तर हे परन्तु ओसत द्रव्यमान अभी भी यथार्थ नहीं है। इसके विपरीत विद्यार्थी 'ग' द्वारा प्राप्त आँकड़े परिशुद्ध भी है ओर यथार्थ শী|




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