भारत में निर्यात सम्बर्द्धन के सम्बन्ध में उठाये गये कदम एवं उनका आलोचनात्मक अध्ययन | Bharat Men Niryat Sambarddhan Ke Sambandh Men Uthaye Gaye Kadam Evm Unaka Aalochanatmak Adhyayan

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Bharat Men Niryat Sambarddhan Ke Sambandh Men Uthaye Gaye Kadam Evm Unaka Aalochanatmak Adhyayan by श्याम धर मौर्य - Shyam Dhar Maurya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 आकडे नहीं मिल पाते। इसके अतिरिक्त किसी फर्म का आन्तरिक-संगठन, उसके व्यापार का आकार तथा तरीके, वित्त के ओत आदि विषयों को पर्याप्त गोपनीय माना जाता है और इनके सम्बन्ध में सही-सही जानकारी प्राप्त करना कठिन बन जाता है। भारतीय निर्यात के प्रमुख लक्षण द्वितीय विश्व युद्ध के पहले भारत मे उद्योग-धन्धे बहुत पिछड़ी हुई दशा में थे। कुछ परम्परागत उद्योगों को छोड़कर देश में यातायात, संचार, बिजली, मूल उद्योगों तथा पूँजीगत उद्योगों का हमेशा अभाव रहा है लेकिन भारत उस समय ब्रिटिश सरकार के अघीन था। अत8 भारत से कृषि पदार्थ, कच्चे माल और खनिज जैसे आवश्यक संसाधनों का निर्यात होता था। द्वितीय विश्वयुद्ध काल के दौरान युद्ध की कठिनाइयों एवं ब्रिटेन के युद्ध में फस जाने से देश में कुछ उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के कारखानें खुले और भारत ने अफ्रीका तथा मध्य और पूर्व के देशों को कुछ निर्यात भी किया। स्वतन्त्रता प्रप्ति के बाद देश में पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत नियोजित विकास प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भिक तीन योजनाओं में देश मे उद्योग धन्धे स्थापित होते रहे। बिजली परियोजनाओं का निर्माण हुआ, संचार एव यातायात व्यवस्था मे सुधार हुआ, लेकिन उत्पादन के अभाव मे निर्यात मँ कोई विशेष वृद्धि नही हो सकी। तृतीय पंचवर्षीय योजना के बाद निर्यात में तेजी से वृद्धि प्रारम्भ हुई। तृतीय पंचवर्षीय योजना तक निर्यात में धीमी प्रगति के कारणों में कुछ कारण निम्न हैं- (6) भारत के निर्यात मदां मे चाय, जूट तथा सूती वस्त्र जैसे परम्परागत सामान थे, जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में माग अलोचपूर्ण थी । (1) निर्यात योग्य वस्तुओं के उत्पादन का अभाव (1) निर्यात की वस्तुओं का अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों मे अधिक मूल्य और खराब किस्म सरकार के प्रयासों, रूपये के अवमूल्यन तथा देश में औद्योगिक विकास के कारण निर्यातों में सन्‌ 1966 के बाद वृद्धि हुई। तब से भारत के निर्यातों में निरन्तर तेजी से वृद्धि हो रही है। निर्यात का महत्व निर्यात का महत्व आजकल के युग में सभी राष्ट्रों के लिए होता है, चाहे वह विकसित राष्ट्र हो, विकासशील या अविकसित। प्रत्येक देश कुछ विशेष भौतिक एवं मानवीय संसाधनों से सम्पन्न होता है




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