घेरा | Ghera
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सोमा
सुमन
सोमा
सुमन
सुमन
सुमन
सुमन
सोमा
सुमन :
घेरा | १६
वहाँ तो बराबर ही जाती हूँ, कपड़े धोने ।
: हॉह्रॉ, बराबर ही तो जाती हो, कपड़े धोने | और कुछ
करने नही न ?
: कहना क्या चाहते हो ?
: झरना के उस ओर हुस्नहीना की झाड़ी हैं न ?
सोमा :
हा, है । तो उससे क्या ?
: उसकी आड् मे बैठकर बहुत कष देखा जा सकता है |
सोमा :
सुमन :
सोमा :
“बहुत कुछ” माने ?
कपड़े धोना. और.. और बहुत कुछ ।
“और बहुत कुछ” क्या ? कभी कभी गर्मी के दिनों मे
पानी में थोड़ा पेर डुबाकर बेठ जाती हूँ, और না?
(कपडा थोडा सा उठाकर दिखलाती है)
: थोड़ा नही, और ज्यादा ।
सोमा :
बिलकुल नही | बहुत हुआ तो इतना । (और थोडा
उठाती है)
: थोड़ा और ।
: छि. छि तुम्हें शर्म नही आती ? झाड़ी की आड़ मे
छिपकर तुम लड़कियों का पानी मे पेर डुबाना देखते
हो । लगता है थार-दोस्तो को भी साथ लेकर आया
जाता है ?
(दौडकर महल के भीतर चली जाती है)
(चोट खाकर) बिलकूल नही । यार दोस्तों को लेकर
मे कभी-
(नोलते-बोलते वहं भी भीतर जाता है । विपुल वर्म का
प्रवेश, साथ में कुछ सिपाही हैं। दरवाजे के दोनो
सिपाही और साथ में आये सिपाहियों से फुसफूसाकर कुछ
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