समसामयिक हिंदी साहित्य | Samasamayik Hindi Sahitya

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Samasamayik Hindi Sahitya by डॉ. नगेन्द्र - Dr.Nagendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिवेदय ने विशिचियन गौड़ को जपदस्थ बरके ऐसी लौविक सत्ताएँ स्थापित की जिनसे कुठित और पणगु हुए बिना नहीं रह सकी । साथ ही उनसे यह निप्कप निकला कि मानव जीदन मे अनेव आ तरिक बिरोथ और असगत्िया ह और उनसे 96851 15 1५8 तह. पा का भय दूर नहीं हो पाता । यहा तक कि सावस का मटी रियलिस्टिक डायलेक्टिव नाकपण पूर्ण हाते हुए नी मनुप्य की अनराप्मा में घुटन पदा करन वाला सिंद्ध हुआ कौस्तर इत डाक नस ऐट नून और गॉड दठ फेल्ड और जाज श्रीर्वेंल-इत १९८४ । उसने न्यक्तिनस्वाततय का अपहरण करके उसके दिमाग पर लगाए गए नियनणा-- रेजीमेटशान --को प्रथय दिया यद्यपि लव डि-स्टालिनाइजसन वे बाद रेजी मदशन की पीड़ा बुछ कम हो गई है इसी प्रकार जब बीसवी शता दी का सानव मन अपन को जपने ही वुने हुए जाल मे जकडा पा रहा था उस समय फ्रायड ऐडलर युग पवलोव और परेतो की मनोवज्ञानिव विचारघाराओआ ने मनप्य को एक ठोस समाज वित्तान देते की चेप्टा की । कि तु दुर्भाग्य उनसे सनु य के भोतर छिपी हुई नज्ञात आदिम ववर और वि पाशव वृत्तिया पर आधारित मानसिक बुरूपता का ही दिग्ददन हा सका । मनुष्य वही करता हैं जा उसका जचेतन उसे करने क॑ लिए प्रेरित करता है । इस विचारधारा ने भी मनुष्य बी अतरात्मा की ऊजस्विता पर बल न दिया | इवर जिरल्ड हड ने सुपर का शसनंस टॉयनवी ने ईधी रियलाइजेशन भौर सोरोक्नि न आइडिएश्नल का प्रतिपादन करते हुए थी मानव जीवन नौर सूल्या के सम्ब बस अनेक तिराशा- जनक वार्तें कही हैं। सच तो यह है कि नीत्शे और वगसा से लकर विलियम जेम्स और जॉन ड्यूई तक के विचारा में आज इतना वपम्य दप्टिंगोचर होता है कि जाधुनिक बुद्धिजीवी जपने को सतुलित वरातल पर स्थिर रख सकने में जस- मथ पा रहा हू। उपयु क्त पाइचात्य विचारदराओ से अवगत हिटी का साहित्यकार जब मनन ीलता मे सलग्व था जात्म मथन और विद्लेपण कर रहा था सामाय रचनाआ के अतिरिक्त भारतीय पौराणिक झली के आवरण म उसने कान्य रचनाजा जौर उपयासा म इसी पाइचात्य विचारधारा का प्रभाव ही प्रदित क्या और गाप्ठियों मे उन पर विचार विनिमय किया जपने नवाजिते वचारिक क्षेत्र म जालोइन विलाडन के साथ-साथ पाइचात्य विचारधाराज का दुष्टि से दख रहा था उसी समय दितीय महायुद्ध १६३६ १९४५ म जापान वे




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