विद्यार्थियाँ से | Vidhyarthiyon Se
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विद्यार्थियों के प्रति [ ६
পাপী রক স্পা
चमक उठेगा। तुम्हररे काम मे असत्य वा जरा स्पर्श नहीं होना चाहिए ।
সুদ विधापीद को तभी शोमित कर सकोगे जब अपने ही मन को,
भ्रष्यापकों को, गुरुजनों को और भारतवर्ष को नहीं ठ्योगे। अ्रध्यापर्को
से हर एक बात का खुलासा मांग सकते हो। उनका धर्म है, तुस्दारी
हर एक कठिनाई को झुलझाना । यह न करके भगर हुम जैते तैसे वैर
रहोगे तो विद्यापीठ की प्यवस्था बेसुरी चलेगी । विद्यापौद का काम ते
इतनी श्रच्छी तरह चलाना चाहिए कि वह संगीत के समान गे |
तंबूरे के पीछे जो संगीत लगा हुआ है, घ स्थूल्न है, सच्चा संगीत तो
सुजीवन है और जिसका जीवन सुछ्ीषन है, वही सच्चा संगीत जानता
है, थह जीवन संगीत बालक भी जानता है. अगर भाँ बाप ने उसे ठीक
रास्ते घत्ाया हों तो | दालक के पास केवल रोने की ही घाचा है, मगर
उनमें भी जो शूरमा होता है, वह शोभता है । विद्यार्थियों में बच्चों के ही
समान माधुर्य होना चाहिए । अगर तुम सत्य का आचरण फरोगे तो यह
स्थिति कानी सहज है। दिधार्थी अगर सत्य फ़ा भाषरण फरने पाले हों
तो उनके हारा हिन्दुस्तान का स्वराज्य लिया जा सकता है। यह बात
विद्यापीठ के सिद्धान्त में ही है कि अद्दिंसा भौर सत्य के ही रास्ते हमें
स्वराज्य छेना ऐै, इसलिए इसे सिद्ध करना भी नहीं रद्द जाता है। जिसे
इसमें शंका हो, इसके लिए यहाँ स्थान नहीं हैं। भ्रथवा जिसे ऐसी शंका
दो, उसे पहले ही अवसर पर उसका निवारण कर लेना 'चाहिए |
सरकारी शाज्वा और इमारी शाज्ञा का भेद समझना श्राहिप् ।
हमारे कई एक विद्यार्थी जेल गये ओर दूसरे जायेंगे। वे विवापीठ के
भूषण हैं । क्या सरकारी शालाओं के विद्यार्थियों की भी मजा £ইকিঈ
অন্তমলাহ্ জী মনু ক सके ? झ्थवा मदद करने के बाद श्रपने शिक्षक
को धोखा दिए बिना कॉलेज में रह सके ? पीढ़े उन्हें चाहे नितना शान
मिका रदे, मगर ब किं काम का ? सत्व हर लेने फे ाद् श्रगर कान
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