श्रीमती क्यूरी | Shrimati Kyuri

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Shrimati Kyuri by लाल बहादुर - Lal Bahadur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीमती क्यूरी ५ नोबोलिप स्ट्रीट में जो स्कूल था उस पर आइनव शासन करता था | मेनिया के पिता प्रो० स्कल्ोदोबोस्की इसी में पढ़ाते थे। आइवनोव को इसकी वड़ी चिन्ता रहती थी कि किसी लड़के के लेख मे पोलिशत्वः न हो | वह कक्षाओं में जाकर प्रायः कापियाँ देखता | स्कलोंदोवोस्की से उसका सम्बन्ध उस समय से वहत कटु हौ गया था जव से उन्होंने अपने एक विद्यार्थी का पक्ष लिया--/एम० आइवनव, यदि उस बच्चे ने भूल की है तों अनजान में। आप भी रूसी भाषा लिखने मे कभी-कभी गलती करते हैं, और शायद प्रायः | मै यह भी जानता हूँ कि आप जान बूम कर नहीं करते जैसा उस बच्चे ने भी नहीं किया है |” प्रोफेसर अपनी पत्नी से इसी आइवनव की बात कर रहे थे जब ज़ोसिया और मेनिया ने कमरे मे प्रवेश किया | “तुमने सुना उस दिन लड़कों ने गिरजा घर मे प्राथना का क्‍यों प्रबन्ध किया था ! आइवनव की लड़की टाइफायड से वीमार थी। प्रिन्सिपल आइवनव से बच्चों को इतनी घृणा है कि सव ने मिल कर उसकी लड़की की झुत्यु के लिये प्राथना की | पादरी को यदि प्रार्थना के उद्देश्य का ज्ञान होता तो इसके लिये उसे वहुत कष्ट उठाना पड़ता |? एम० स्कलोदोवोस्की को इस घटना से प्रसन्नता थी परन्तु उनकी पत्नी, जो अधिक धार्मिक थीं, इस पर हँस नहीं सकी । वह अपने काम मे लग गयी | उन्हें अपने लिये कोई काम छोटा नही प्रतीत होता था। अपनी वौमारी से विवश होकर जब से उन्हें घर में ही रहना पड़ा, उन्होंने मोची का काम सीख लिया था और श्रव वच्चे उन्ही के बनाये हुये जूते पहनते । इसी आयु मे मेनिया पर दो वातों का बहुत प्रभाव पड़ा एक तो हर समय अधिक आयु वालो को आइवनव''' “पुलिस *'' '''ज़ार निवासन स्कीम * साइवेरिया आदि की चरचा | जब से उसने




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