संघर्ष कालीन नेताओ के जीवनियां | Sanghrshkaleen Netao Ki Jivneya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीमन्त नाना धंधूपन्त *
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पालन-पोषण कर सकते थे | इसलिए उन्होंने सम्पत्ति पर एकाधिकार स्थापित
कर लिया | यह विधवा रानियों को आपत्तिजनक अतीत होने लगा।'
फलतः नानाराव के पेशवा-परिवार में से ही वहुत से अतिद्दन्द्री खड़े हो
रये 1 पेशवा की विधवा रानिर्यो ने बिदृर-स्थित कॉमश्नर से शिकायत की
कि नानाराव उनके हीरे-जवाहरात तथा आभूषण भी अपने अधिकार म
करना चाहते हैं। परन्तु कमिश्नर ने इन शिकायतों की जाँच करने पर
ज्ञात किया कि उनमें कोई तथ्य नहीं था। फलतः शासन की ओर से
तिद्दन्दियों तथा नानाराव के अन्य विरोधियों को सचना दे दी गयी कि
श्रीमन्त धधूपन्त, पेशवा के नियमानुकूल उत्तराधिकारी हैँ तथा अंग्रेजी
शासन ने उनको अतुल धन-सम्पत्ति का उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया
है । इसन्विए पेशवा-परिवार के सव सदस्यो को लानाराव के सम्बन्धियों _
वथा ज्राभितो को नाना धुंधूपन्त का यथोचित सम्मान करना चादिर।
स्थानापन्न कमिश्नर ओटददेड ने विधवा रानियों को सचना देते इर समायां
कि লালা धंधृपन्त को पूर्ण रूप से उत्तराधिकारी समभने में ही उनकी
भलाई है। आगरा भान्त के लेफप्टनेन्ट गवनेर ने भी मेरहेड के सन्तव्य कौ
ही स्वीकार किया | साथ ही साथ यह भी आदेश दिया गया कि दविद्वर में
पृथक कमिश्नर के कार्यालय की अब कोई आवश्यकता नहीं ; शासन, नाना
धूधूपन्त से कानपुर के कल्लेक्टर द्वारा पत्र-व्यवद्दार कर लिया करेगा ।
उपाधिग्रहण : नाना धंघृपनत ने इन सब बातों की चिन्ता न करके
पेशवाई गदी पर बैठते ही, पेशवा महाराज की समस्त उपाधियाँ दण कर
लीं । उन्होंने तुरन्त ही अंग्रेजी शासन को एक प्रार्थना-पत्र लिखबाया व
उसमें पेशवाई पेन्शन के बारे में पूछताछ की । इस प्रार्थना-पत्र के साथ
एक पतन्न, आपने राजा पीराजी राव भोंसले नामक वकील द्वारा भिजवाया 4
कानपुर के कलेक्टर ने पत्रादि पाते ही जाँच की तथा मालूम किया कि
नाना धंधुपन्त ने पेशवाई उपाधियाँ अहण कर ली हैं तथा प्रान्तीय शासन
को आर्थ ना-पत्र लिखवा कर उसके साथ 'खरीता' भा भेजा है। शासन ने
ॐ _ छः
१, आगरा नेरेटिव---सच् १८९१ ई० द्वितीय चतुर्धाश--अप्रेल>
मर्ह, जून; १८९२ से ५८६० ई० तक ।
२. आगरा नैरेटिव'--सन् १८६५१ ई८
३. वही : अक्तूबर, दिसग्बर १८५२ ६ई०।
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