मौक्तिक | Mauiktik

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हैं कोटि कोटि तेरी सतान “তুল! भीम घोर वीर वलवान गाधी'- गौतम भमेहरू! के अरमान पांट कर भेदभाव की खाई हटा रहे ऊच नीच वी दीवार । आज भो पोरुष, नही भुक पाया है जागता है हर खेत पर किसान और सीमा पर वफसे दवौ धाटियो में हर घडी चोकस खडा है 'ग्रव्दुल हमीद', 'कीलर-- হালাল सिंह! बन कर निभय--अझ्डिग तेरा हर जवान और मेरे देश मेरे जीवन, मेरी मुस्कान तु मेरा सब कुछ সং মিলান? के




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