पर्यावरणीय - ज्ञान कोश | Paryavaraniy Gyankosh

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Paryavaraniy Gyankosh by डॉ.बी.बी.एस. कपूर -Dr.B.B.S. Kapoor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ओकिसीजेन चक्र (0५४५९ <ए००) ऑक्सीजन को प्राण वायु भी कहा जाता है। यह उपलब्ध सभी 106 तरवो में सबसे महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि जीवों की श्वसन क्रिया का आधार ऑक्सीजन ही है। यह श्वसन में ऑक्सीजन ग्रहण करतै हैं तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड पुनः पर्यावरण में छोड़ देते हैं। इसके लिए जीव वायुमण्लीय या जल में घुली हुई ऑक्सीजन का उपयोग करते है। ऑक्सीजन जीवों की कोशिकाओं में ओज्य पदार्थों का दहन करके ऊर्जा छोड़ती है, जिससे सभी जीव अपनी उपापचयिक क्रियाएँ सम्पन्न करते हे । पौधे सूर्य की रोशनी मे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना निर्माण करते हैं तथा इस क्रिया मे वे वायुमण्डलीय कार्वन-डाई-ओक्साइड का उपयोग करते दे तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस प्रकार पौधे, जीवों द्वारा छोड़ी गई कार्वन-ढाई- ऑक्साइड को लेकर उसको ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देते हैं तथा यह चक्र चलता रहता है । वायुमण्डल में ओक्सीलन की मात्रा लगभग 21 प्रतिशतं रहती हैँ । ओक्सीजन-चक्र „ , - জল विघटन हरे पादप जलीय पादप प्रकाश सन्श्लेषण . प्रकाश सन्श्लेषण वायुमण्डलीय ऑक्सीजन पादप व जीव जच्तु श्वसन ৩7 ৬, 51 कार्बन-डाई-ऑक्साइड




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