पशु - चिकित्सा | Pashu Chikitsa
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पशु-चिकित्सा छ १ चाखड़ी का चूणु पोने चार तोला । २ पलास के बीज बारह आने भर | ३ अफीम छं आने भर | ४ चिरायता का चूस सात तोला 1 इस सब औषधियों को एक छटांक शराब में १ सेर भात का मॉड़ मिलाकर पु को देना चाहिए । यह घारक तथा अस्ल- नाक होता है । चेचक दिखाई देने के पहले सेमल का बीज गुड़ के साथ तीन दिन तक दिया जाता है । परन्तु चचक की मौजूदगी मे यह ब्यौषधि न देनी चाहिए | पहले दिन--२५ बीज प्रथम बार १८ बीज द्वितीय बार और १० बीज तृतीय बार ३-४ घन्टे के अन्दर पर देना चाहिये । दूसरे दिन--प्रथम बार १५ बीज द्वितीय बार १० बीज १९ घन्टे के अन्तर पर देना चाहिये । तीसरे दिन--एक बार १० बीज चेचक पकने के पहले खिलाना चाहिए 1 जब पशु त्को जीभ फूली जान पड़े तो उसके मुख को कारवोलिक एसिड और गर्म जल द्वारा साफ करना चाहिए । नीम के ्योटे हुए पत्ते द्वारा भी सुख नाक साफ करते रहना फायदा पहुँचाता है | १ चिरचिरी की जड़ ४ तोला 1
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