भावना | Bhavana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
259
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी आनंद भिक्षु सरस्वती -swami anand bhikshu sarswati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( दै )
काश डालने का सफलतापूर्वक यत्न किया है । विवेक,
बलिदान, सौन्दर्य, पूजा, नास्तिकता आदि सभी विषय उपयोगी
हैं। स्वाध्याय-शील पाठक इन विषयों पर लिखे हुए, लेखक के
संक्तित्त निबन्धो का स्वाध्याय करके लाभम उठा सक्ते है ।
छन्दोग्योपनिषद् मे कहां गया है, “संकद्पमयो अयं पुरुषः ।
अर्थात् मनुष्य संकल्प ( भावना ) मय है । उसके जैसे विचार
होते &, वेसा ही वह बन जाया करता है । इसी लिए यजुवद
ने आज्ञा दी है कि “तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु । अर्थात्
मनुष्य को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह मेरे मन को
शुभ भावनामय बना देष । | आज कल पाश्चात्य विद्वान भी इस
सिद्धान्त का समर्थन करने लगे है । अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक
मान ने 7০1১0110 ठप प्प पत्या) एर 00927
लिखकर सिद्ध किया हैं कि हमारा भविष्य हमारे ही विचारों
से बना करता है। निष्कर्ष यह निकलता है कि भावनामय पुरुष
को शुभ भावनाओं वाला होना चाहिए । शुभ भावनामय बनने
के लिए यह पुस्तक उचित रीति से साधन के तौर पर प्रयोग
मे लाई जा सकती है । आशा है, अधिक से अधिक नर नारी
पुस्तक से लाभ उठाने का यत्न करेंगे। पुस्तक को सफलता के
साथ समाप्त करने के लिए, लेखक बधाई पाने योग्य है ।
बलिदान सवन, देहली । नारायण स्वामी
फाल्युन शु० १० सं० १६८४ चै० प्रधान, सार्वदेशिक सभा
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