ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह | Etihasik Jain Kavya Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60 MB
कुल पष्ठ :
692
श्रेणी :
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No Information available about शंकरदान जी नाहटा -Shankardan Ji Nahta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एातहासक जन-+काव्य' सग्रह
-की-
प्रस्तावनां
जेन-धमं भारतवर्षका एक प्राचीनतम धमं ह । इस धमक अनु-
यायियोने देशके ज्ञान-विज्ञान, समाज, कला-कोरा आदि वैरिष्य्य-
के विकासमें बडा भाग छिया ह ! मनुष्यमात्र) नहीं-नहीं प्राणीमात्र
में परमात्मत्वकी योग्यता रखनेवाला जीव विद्यमान है ओर
प्रत्येक प्राणी, गिरते-उठते उसी परमात्मत्वकी ओर अग्रसर हो
: रहा है | इस उदार सिद्धान्तपर इस घमका. विश्वप्रेम ओर विश्व-
बन्धुत्व स्थिर है। भिन्न-भिन्न धर्मों के विरोधी मतों ओर सिद्धांवों-
के बीच यह धर्म अपने स्याद्वाद नयके द्वारा. सामव्जस्य उपस्थित
कर देता है । यह भोतिक ओर आध्यात्मिक उन्नतिमें सब जीवोंके
समान अधिकारका पक्षपाती- है तथा सांसारिक छामोंके लिये कलह
ओर विद्धेषको उसने पारखोकिकं सुखकी श्रेष्ठता द्वारा मिटानेका
प्रयत्न किया है ।
न-धमकी यह विशेषता केवल सिद्धान्तोंमें ही सीमित नहीं
रही । जन आचार्योंने उच्च-नीच, जाति-पांतका भेद न करके
अपना उदार उपदेश सब मनुष्योंकों सुनाया और अहिंसा परमो
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