१३०८ कारवां | 1308 Karvan
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.78 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पसिस्टर पुरी मिसेज पुरी मिस्टर पुरी सिसेज पुरी मिस्टर पुरी सिसेजु पुरी पसिस्टर पुरी मिसेज पुरी सुखी हंसी हंस कर मुझे इसका बालकों के समान कोरी आंखो से एक क्षण में प्रफुल्लित और शोकात्वित होना बहुत प्रिय रूगता हैं। और उसका क्रोध 1 अभी मुझ से दिंगड़ रहा था मेंते मुस्करा कर उसकी ओर देखा और बस चालिकाओं- सा लजा गया? दो क्षण गंभीर नौरवता रहती हैं। सहसा आज क्या वह जायगा । हां मेने उस से कह दिया । क्यो? क्यों ? उनकी आंखों से एक टक देख कर क्योकि तुम उसे से ईर्व्या रखते हो। चकित होकर में उस से ईर्ष्या रखता हूं ? उत्तेजना के साथ उससे उस अर्घ बालिका से जो हर समय अपने पुरुष होने के लिये क्षमा-याचना करता हू। जो केवल एक रुपहली रात्रि के स्वस्त की भांति हूँ जो जीवन या प्रेम को इतना हो कन जानव हूँ जितना तुम मुझे--हूँ में ईर्ष्या नहीं हैं दाम्सी। दूढ़ भाव ते क्यो?
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