सूर सारावली : एक अप्रामाणिक रचना | Soor Sarawali: Ek Apramanik Rachana
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
442
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रेमनारायण टंडन -Premnarayan Tandon
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २० )
'साराबनो? कवि ने दी है, परंतु यह घोषणा आदि या अंत में नहीं हे
क्रि ग्रंथ के रचयिता सूरदास ही हैं। “अथ श्री सूरदास जी रचित सूरसागर
सारावली'--.इस वाक्यांश में 'सूरसागर! और सारावली? के बीच मे यदि
“की? समफी जाय तो (रचितः शब्द 'सूरसागर” का ही विशेषण रह जाता
है । लखनऊ की प्रति मे “तथा सारावली' अलग देने से उक्त वाक्य-
विन्यास उपयुक्त भी जान पड़ता है और वैसी स्थिति मे कटा जायगा कि
सूर-काव्य के 'सारावली? नामक 'सूचीपत्र को किसी अन्य व्यक्ति ने तैयार
कर दिया है, सूरदास ने नहीं। परंतु 'सारावली” मे 'सूरदास' को ही
कर्त्ता सूचत करनेवाले कुछ वाक्य मिलते है ! स्थूल कूप से, इनको
दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है--प्रथम वर्ग में सूर, सूरज या
সি
सूरजु और सूरदास छापो वाले छंद आते है और हिताय में स्व-जीवन-
संबंधी अथवा आत्मचारित्रिक उल्लेख। 'साराबल्ली” के जिन छदो में उक्त
छापे! प्रयुक्त है या जान पड़ती है वे इस प्रकार ई--
१. तिनके नाम कहत कवि सूरज निगुन सबके ईस)।
२, अट्ठाईंस तत्व यह कहियत सो कवि सूरज লাদও।
३, सातो दीप कहे सुक मुनि ने सोइ कहत श्रव सुर् *।
४. कछु संक्षेप सूर अब बरनत लघुमति दुर्बंल बाल ।
५. वाल्मीकि मुनि कही कृपा करि कछु इक सूर আ বাইঘ |
१, सूरज छाप वाले दो उदाहरण डा० ब्रजेश्वर वर्मा ने 'सूरदास!, ६० १०४
में उद्धृत किये है--
सूरज कोटि प्रकास अंग मे कटि मेखला बिराजे--छुंद ३३४ |
৮ ৮ >€
प्राए बरह्म सभा मे बामन सुरज तेज बिराजें--छुंद ३३६ |।
उक्त पंक्तियों में 'सूरज! शब्द अपने साधारण प्सू अथं मे प्रयुक्त
ই। आश्चर्य है, डा० वर्मा ने उसे कवि की छाप कैसे मान लिया |
-लेलक |
सारावली, छंद ७ ।
वही छंद १० |
वही, छुंद ३२४ |
बही, छुंद १४७ |
६, बही, छुंद १६२।
आग ३0
User Reviews
No Reviews | Add Yours...