शरीर विज्ञानं और स्वास्थ्य | Sharir Vigyan Or Swasthaya
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.39 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अध्याय
अस्थि संस्थान
अस्थिप॑जर
मनुष्य के शरीर का ढाँचा मजबूत हड्डियों का बना हुआ है। हड्डियों के
इस टॉचे को ककाल या अस्थिपजर कहते हैं । यदि शरीर के भीतर यह ढाँचा
न होता तो मनुष्य-शरीर का बतंमान रूप मी न होता । उस दशा में मनुष्य
मास का एक लोंदा मात्र होता | अस्थिपजर केवल शरीर का आकार ही नहीं
बनाता, इसके अन्य भी उपयोग हैं । यह शरीर में इढ़ता लाता है श्र शरीर
> के तन्वुद्रों तथा पुट्ठों के लिये श्राधार तथा सहारे का काम करता है। यदि
मनष्य शरीर केवल मास का बना होता तो मनुष्य के लिए सीधा खड़ा होना,
चलना श्रादि सम्मव नहीं होता । तन्र मनष्य भी बिना हड्डी वाले कीढ़ों की भाँति
प्रथ्वी पर रेंगता । स्थिपजर का एक और भी लाभ है। स्थान-स्थान पर
हड्डियों के जुडने से शरीर के बीच के खाली स्थान कोष्ठ का रूप धास्ण कर
लेते हैं श्र इन कोष्ठों में हमारे शरीर के कोमल झय--मस्तिष्क, हृदय,
्आमाशय आदि--सुरक्षित रहते हैं । इस प्रकार बाहरी भटकों श्रौर चोदें आदि
से उनकी रत्ता होती है ।
..... हमारा श्रस्थिपजर ऊपर से नीचे तक केवल एक ही हड्डी नहीं है। यह
छोटी चढी विभिन्न हड्डियों से मिलकर घना है । यदि सम्पण श्रस्थिपजर केवल
एक हड्डी होता तो यह झ्रधिक कड़ा श्र अचल होता। न तो हम '्वल-
फिर सकते तर न अन्य कोई कार्य ही कर सकते । भोजन के समय हमारे हाथ
को कोहनी पर मुडना पडता है तभी भोजन को हम मुँह तक पहुँचा सकते हैं|
थाली से मोजन उठाने में हाथ की गलियों को मुड़ना व हिलना पड़ता है |
यदि सम्पूर्ण हाथ केवल एक ही हड्डी का बना होता तो अंगलियों व कोहनी की
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