ब्रह्मसूत्रों के वैष्णव - भाष्यों का तुलनात्मक अध्ययन | Brahmasutron Ke Vaishnav - Bhashyon Ka Tulanatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
422
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२)
मूत्र के मीमांस्य शति-गरन्य ; इवेताद्वतर उपनिषद् के
सम्बन्ध मे एकं विचार, सम्पूणं ब्रह्मसूत्रो के आधारभूत
शरुति-न्थ, उपसंहार, मीमास्य श्रुतिवावयौ कौ मीमांसा
का क्रम, मीमांसा-पति (मीमांस्य प्रकरणों कां
चयन, मीमासा का कैद््रविन्दु, प्रस्तावनाकी दृष्टि
मीमासा के दो सुख्य रूप, साध्यसाधनपद्धति) १०१-१५०
अध्याय ४
-शुतिवाक्य-समन्वय--
प्रस्तावना (उपनिषदो में जगत्कारणत्वं या
परत्तत्व का प्रतिपादन, ब्रह्ममूतकार करा समन्बयात्मक
दृष्टिकोण, भाष्यकारो का श्रुतिवक्यि-समन्वय में
दुप्टिकोण) ; समन्वय; उपसंहार १५१-२०२
अध्याय ५
ब्रह्मसूत्रों के दाशंनिक सिद्धान्त---
प्रस्तावना (त्रह्मसूत्र-दर्शवय पर एक सामान्य
दृष्टि, ब्रह्मसूत्र-दर्धन और ब्रह्मयूत्रभाप्य-दर्शन) ; तत्त्व-
मीमांसा--#हाकारणवाद (जगत्, ब्रह्म का नि्ित्त-
कारणत्व, ब्रह्म का अभिन्ननिमित्तोपादानकारणत्व,
ब्रह्य के श्रभिघ्चनिमित्तोपादानकारणत्व का उपपत्ति);
स्वरूपत परस्पर-भिद्न तस्व {परतत्व, जीवत्व, जीव
का परतत्त्वं सै सम्बन्ध, जडतत्व, पंचभ्रत, जीवोप-
करण) श्राचारमीश्रला--एरमनिःशेयस्त (ब्रह्य
जिज्ञासा का प्रयोजन परमनिश्चेयस, परमनिःश्रेयस
का स्वरूप, भुक्तावस्था में जीव का स्वरूप और स्थिति,
परमनि:श्रेयस की प्राप्ति का प्रतिबत्धक, परमनि.श्रेमस-
प्राप्ति का सावन, परसनि.श्रेयस्त-प्राप्ति का प्रकार) ,
उपसंहार । २०३-२५६
अध्याय ६ 8
बह्मसूत्रों के अन्य विविध विषय--
सामान्य परिचय; बद्ध जीव की विविध दशाओं
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