ब्रह्मसूत्रों के वैष्णव - भाष्यों का तुलनात्मक अध्ययन | Brahmasutron Ke Vaishnav - Bhashyon Ka Tulanatmak Adhyayan

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Brahmasutron Ke Vaishnav - Bhashyon Ka Tulanatmak Adhyayan by रामकृष्ण आचार्य - Ramkrishna Acharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(२) मूत्र के मीमांस्य शति-गरन्य ; इवेताद्वतर उपनिषद्‌ के सम्बन्ध मे एकं विचार, सम्पूणं ब्रह्मसूत्रो के आधारभूत शरुति-न्थ, उपसंहार, मीमास्य श्रुतिवावयौ कौ मीमांसा का क्रम, मीमांसा-पति (मीमांस्य प्रकरणों कां चयन, मीमासा का कैद््रविन्दु, प्रस्तावनाकी दृष्टि मीमासा के दो सुख्य रूप, साध्यसाधनपद्धति) १०१-१५० अध्याय ४ -शुतिवाक्य-समन्वय-- प्रस्तावना (उपनिषदो में जगत्कारणत्वं या परत्तत्व का प्रतिपादन, ब्रह्ममूतकार करा समन्बयात्मक दृष्टिकोण, भाष्यकारो का श्रुतिवक्यि-समन्वय में दुप्टिकोण) ; समन्वय; उपसंहार १५१-२०२ अध्याय ५ ब्रह्मसूत्रों के दाशंनिक सिद्धान्त--- प्रस्तावना (त्रह्मसूत्र-दर्शवय पर एक सामान्य दृष्टि, ब्रह्मसूत्र-दर्धन और ब्रह्मयूत्रभाप्य-दर्शन) ; तत्त्व- मीमांसा--#हाकारणवाद (जगत्‌, ब्रह्म का नि्ित्त- कारणत्व, ब्रह्म का अभिन्ननिमित्तोपादानकारणत्व, ब्रह्य के श्रभिघ्चनिमित्तोपादानकारणत्व का उपपत्ति); स्वरूपत परस्पर-भिद्न तस्व {परतत्व, जीवत्व, जीव का परतत्त्वं सै सम्बन्ध, जडतत्व, पंचभ्रत, जीवोप- करण) श्राचारमीश्रला--एरमनिःशेयस्त (ब्रह्य जिज्ञासा का प्रयोजन परमनिश्चेयस, परमनिःश्रेयस का स्वरूप, भुक्तावस्था में जीव का स्वरूप और स्थिति, परमनि:श्रेयस की प्राप्ति का प्रतिबत्धक, परमनि.श्रेमस- प्राप्ति का सावन, परसनि.श्रेयस्त-प्राप्ति का प्रकार) , उपसंहार । २०३-२५६ अध्याय ६ 8 बह्मसूत्रों के अन्य विविध विषय-- सामान्य परिचय; बद्ध जीव की विविध दशाओं




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