14वीं 15वीं शताब्दी के हिन्दी साहित्य में चित्रित भारतीय स्त्रियॉं की दशा | 14 vin 15 vin Shatabdi Ke Hindi Sahitya Men Chitrit Bharatiy Striyon Ki Dasha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुल्तान सैनिको को वेतन के बदले जागीर देने के पक्ष मे बिलकुल नही था फिर भी सुलतान के समय मे अनेक व्यक्ति इक्तो का उपयोग करते थे इनस प्रथा को एकदम से खत्म करना या नष्ट करना सम्भव नही था। विशेष कर कि उन राज्यो मे जो नवविजित थे। सेना का गठन - अलाउद्दीन जैसे महत्वाकाक्षी साम्राज्यवादी सुल्तान के लिए. एक शक्तिशाली सेना को रखना अनिवार्य था। क्योकि अपने उपयुक्त नियमो को लागू करना राजस्व सबधी कार्या को कार्यान्वित करना, तथा अपनी विजय को महत्वाकाक्षा सतुष्ट करने के लिए एवं देश को मगोलो के हमेशा आक्रमण से बचाने के लिए एक सुदृढ़ शक्तिशाली सेना का गठन करना आवश्यक था। इन सभी उद्देश्यों को ध्यान मे रखते हुए अलाउद्दीन नें अपनी सैन्य सुधार की ओर विशेष ध्यान दिया । अलाउदीन पहला दिल्ली का सुल्तान था जिसने स्थाई सेना को नीव डाली, जो हमेशा राजधानी की सेवा के लिए तैयार रहती थी। फौज मे सेनाको भर्ती ' सेना मत्री ' द्वारा की जाती थी । सेना को राजकीय कोष से नकद वेतन मिलता था। एक सैनिक का वेतन दोसौ चौतीस टका प्रति वर्ष था ओर जो सेनिक अतिरिक्तं घोडा रखते थे उन्हे 78 टका अधिक मिलता था । सेना को युद्ध को सारी सामग्री राज्य के खर्चे पर मिलती थी । अलाउद्दीन ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सेना मत्री के रजिस्टर मे प्रत्येक सैनिको का *हुलिया!* (आकृति का विवरण) लिखने कौ परम्परा जारी किया चूंकि सैनिक लोग अच्छे घोडो को जगह खराब घोडे रखकर राज्य को धोखा दिया करते थे इसके लिए अलाउद्दीन ने घोडो के शरीर पर॒ निशान लगाने की प्रथा शुरू किया इसे “दाग प्रथा' के नाम জ আলা ( १२)




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