क्या करें खंड - २ | Kya Karen Khand - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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क्षेमानंद 'राहत'- Kshemanand 'Rahat'
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रा त मार्च महीने में रात को कुछ देर से में घर जा रहा
था । गली में घुसने पर दूर के एक खेत में बरफ
के ऊपर काली-काली परछाइयाँ-सी मुझे दिखाई थीं। मेरा ध्यान
उधर न जाता, यदि गली के किनारे पर खड़े हुए सिपाही ने उन
परछाइयों की ओर देखते हुए चिल्ला कर न कहा होता ।
“वासिली ! तुम आते क्यों नहीं ९?
एक आवाज़ ने जबाब दिया, “यह चलती ही नहीं” । और
इसके बाद परछाइयों सिपाही की ओर आती हुई दिखाई दीं !
मैं ठहर गया और सिपाही से पूछा--
“क्या मामला है ?”
१४
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