ब्रजभाषा और ब्रजबुलि साहित्य | Brajbhasa Aur Brajbuli Sahitya

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Brajbhasa Aur Brajbuli Sahitya by कणिमा तोमर - Kanima Tomar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विस्तृत विषय-सूची विचय | हा पृष्ठ-सख्या पहुला अध्याय पप्ठभूमि १-१५० (१) बष्णव धम का सक्षिप्त विवरण ३-५७ (ক্ষ) चेष्णव साधना फा इतिहास वष्णवे धम था ब्रजभाषा ३७३६ और झजबुलि से सम्बध-बेष्णव प्रम॑ का स्वरुप-वष्णव साधना के विकासक्रम का विविध वर्गेकरण-वष्णव धम वी प्राचीन सज्ञा_ पाचरात्र मत -पाचरात्र साहित्य॑-- पाचरात्र-सिद्धात का विभाजन-परमतत्त्व वासुदेव- शक्ति और गविनमान शवित-त त्त्व-सृष्टि तत्त्व-पडगुण पाचरात्र मत में लीलावाद-जाव के द्विविध भेद-पाच- रात्र-साहित्य में रावाइष्ण-पाचरात्र मत वा साधन पक्ष-पाचरात्र मत में भक्त की प्रधानता-बष्णव घम की दूसरी प्राचीन सज्ञा 'भागवत धम -शिला-ल्स और प्राचीन ऐेखा में भागवत घम का उल्लेख-गुप्त-सरेश नीर वप्णव धम~~आख्वार सन्‍्तो को भावधारा-द्वादश आलवार सन्त-मालवार सन्तो वा सार्हित्य-भारवासो की भक्तिमयी सांधना-आलवारो की विश्ञेपताए-दाग- निक आचार्यो कौ भावघारा-नाथमुनि परम्परानुसार सवप्रथम गण्य-यामुंनमुनि (९१६ १०४० सन्‌ ईसवी) श्रोसम्प्रदाय या विनिष्टा इतवाद श्रीरामानुजाचाय (१०१७ ११३७ सन्‌ इसवी)-उपास्य-स्वरूप-भवित ओर प्रपत्ति की प्रधानता-ईश्वर का स्वरूप-सृष्टि भगवान्‌ की छीला ह-चित्‌ वा स्वरुप प्रकार-अचित्‌ का स्वरूप-भक्ति के! साधन-भक्ति ही एक मात्र हक्ष्य- भवित वा मार, प्रपत्ति-प्रपत्ति के मेद-जीव और भग वात का सवध-जीव में दास्यभाव-श्रावष्णवों के दो दल-अह्म सप्रदाय या द्वेतवाद मंध्वाचाय (११९७




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